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राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल को हटाने के आदेश

शासन की नोटिंग से बैक फुट पर आई सरकार

धर्म सिंह मीणा को अतिरिक्त चार्ज देने पर फाइल आगे बढ़ गई

देहरादूनरू राजाजी टाइगर रिजर्व में राहुल को निदेशक पद पर तैनाती के लिए सरकार स्तर पर चल रहे विचार को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब 19 जुलाई को सचिव आरके सुधांशु ने ऑनलाइन नोटिंग करते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध पातन मामले का जिक्र कर विपरीत नोटिंग की। इसी के बाद कई दिनों तक राजाजी टाइगर रिजर्व में किसी को पोस्टिंग नहीं हो पाई और धर्म सिंह मीणा को अतिरिक्त चार्ज देने पर फाइल आगे बढ़ गई।
हालांकि अचानक सरकार ने फिर से राहुल को ही निदेशक बनाने पर विचार शुरू कर दिया और सीएम धामी के अनुमोदन के बाद राहुल को निदेशक बना भी दिया गया। इसके बाद तैनाती को लेकर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु की पूर्व में की गई वहीं नोटिंग चर्चाओं में आ गई और अब इस मामले में सरकार को बैकफुट पर भी आना पड़ा है।
शासन स्तर पर जारी आदेश के अनुसार 3 सितंबर को राहुल ने राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पद से खुद को हटाने की इच्छा जाहिर की, जिसके बाद शासन द्वारा उन्हें हटाने के आदेश जारी किए गए हैं। जारी किए गए आदेश के अनुसार अब राहुल को उनके निदेशक पद से अवमुक्त कर दिया गया है और फिर से पूर्व की जिम्मेदारियां को उन्हें सौंप दी गयी है। मुख्य वन संरक्षक अनुकरण मूल्यांकन आईटी और आधुनिकीकरण के पद पर अब राहुल काम संभालेंगे।

एक हफ्ते में दो बार किसी अधिकारी को हटाया
देहरादून। उत्तराखंड वन महकमे में पिछले एक हफ्ते के दौरान दो बार किसी अधिकारी को हटाए जाने को लेकर आदेश जारी करने पड़े हैं। इस मामले में प्रमुख सचिव आरके सुधांशु की नोटिंग काफी अहम रही है, क्योंकि इसी नोटिंग के सामने आने के बाद यह पूरा मामला विवादों में आ गया था।

पाखरो पर सुप्रीम कोर्ट में बहस
देहरादून। उधर खबर है कि पाखरो सफारी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में भी आज बहस हुई, जिसमें राहुल की तैनाती पर चर्चा हुई। इस दौरान इन्हीं दस्तावेजों को कोर्ट के सम्मुख भी रखा गया।


लंबे इंतजार के बाद पीसीएस अधिकारियों की हुई डीपीसी
8700 ग्रेड पे पर पीसीएस अधिकारियों के नाम पर किया गया विचार
बुधवार को की गई डीपीसी
देहरादून। उत्तराखंड में लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे प्रोविंशियल सिविल सर्विस (पीसीएस) अधिकारियों के लिए आज का दिन बेहद खास रहा है। उत्तराखंड शासन ने राज्य के कई पीसीएस अधिकारियों की डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) की है। इसके बाद इन अधिकारियों को प्रमोशन का लाभ मिलने जा रहा है। हालांकि, पीसीएस अधिकारी काफी समय से डीपीसी होने की राह देख रहे थे। लेकिन तमाम तकनीकी कारणों से औपचारिकताएं पूरी नहीं हो पा रही थी। ऐसे में अब आखिरकार शासन ने विभिन्न कागजी कार्रवाई को पूरा करते हुए बुधवार को डीपीसी कर दी है।
शासन ने कुल 43 पीसीएस अफसरों की डीपीसी की है। जिनमें 8700 ग्रेड पे पर 29 पीसीएस अधिकारियों के नाम पर विचार किया गया। इस तरह कुल 14 पीसीएस अफसर ऐसे थे, जिन्हे 7600 ग्रेड पे पर प्रमोशन देने के लिए डीपीसी में चर्चा की गई थी।
जानकारी के मुताबिक, 8700 ग्रेड पे पर कुल 29 पीसीएस अधिकारियों के नाम पर विचार किया गया था। लेकिन दो पीसीएस अधिकारियों पर विभिन्न जांच गतिमान होने के चलते उनका लिफाफा बंद रखा गया है। यानी 8700 ग्रेड पे पर 27 पीसीएस अधिकारियों का ही नाम फाइल में दर्ज हैं। हालांकि, डीपीसी को लेकर कार्यवृत्त तैयार होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अंतिम अनुमोदन इसमें होना बाकी है।
राज्य में 8700 ग्रेड पे पर जिन अधिकारियों के प्रमोशन हुए हैं। उनमें ललित नारायण मिश्रा, पीसी दुमका, सुंदरलाल सेमवाल, गिरीश गुणवंत, वीर सिंह बुढ़ियाल, त्रिलोक मर्ताेलिया, अभिषेक त्रिपाठी, शिवकुमार बरनवाल, मोहम्मद नासिर, सुश्री ईलागिरी, जगदीश कांडपाल, चंद्र सिंह इमलाल, उत्तम सिंह चौहान, चंद्र सिंह इमलाल, अशोक जोशी, शिवचरण द्विवेदी, मोहन सिंह, हेमंत कुमार वर्मा, प्यारे लाल शाह और केके मिश्रा का नाम शामिल है।

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