उत्तराखंडनई दिल्लीसामाजिक

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को मंजूरी, मोदी कैबिनेट में पास हुआ प्रस्ताव

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को मंजूरी, मोदी कैबिनेट में पास हुआ प्रस्ताव
कोविंद पैनल की रिपोर्ट की गई स्वीकार
देश में चुनाव पर होने वाले खर्च का बोझ होगा कम
गगनयान के विस्तार और चंद्रयान-4 मिशन को भी दी मंजूरी
संवैधानिक संशोधन विधेयक के रूप में संसद की मंजूरी की आवश्यकता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली कैबिनेट ने भारत में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने बुधवार को हुई बैठक में देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। जानकारी के मुताबिक दोपहर 3 बजे मोदी कैबिनेट की मीटिंग में लिए गए फैसले पर ब्रीफिंग की गई।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की मीटिंग पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कोविंद पैनल की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। इससे चुनाव में होने वाले खर्च का बोझ कम होगा। केंद्रीयमंत्री ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में वीनस ऑर्बिटर मिशन, गगनयान के विस्तार और चंद्रयान-4 मिशन को भी मंजूरी दी गई है।
ससे पहले मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि इस कार्यकाल के पूरा होने से पहले ही देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू कर दिया जाएगा।
बता दें कि इस साल की शुरुआत में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक हाई लेवल पैनल ने लोकसभा और राज्य विधान सभाओं दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसके लिए पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों का भी सुझाव दिया, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभा की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संवैधानिक संशोधन विधेयक के रूप में संसद की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

32 राजनीतिक दलों का समर्थन
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने इस मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया था। इनमें 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी थी, जबकि 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। प्रतिक्रिया देने वाले 47 दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया था, जबकि 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया था।

वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे
नई दिल्ली। देशभर में एक साथ चुनाव करवाने पर करोड़ों रुपये की बचत होगा। साथ ही चुनाव आयोग को बार-बार चुनाव कराने से निजात मिलेगी। एक साथ चुनाव होने से फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा। साथ ही बार-बार आचार संहिता लगाने की जरूरत नहीं होगी। इससे काले धन पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।

राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श
नई दिल्ली। पैनल ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा एक सामान्य मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की। वर्तमान में, ईसीआई लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए जिम्मेदार है, जबकि नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनावों का प्रबंधन राज्य चुनाव आयोगों द्वारा किया जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button