उत्तराखंडक्राइमदेहरादून

मशहूर सिंगर जुबिन नौटियाल के रिश्तेदारो ने भी कराई गोल्डन फोरेस्ट की भूमि में रजिस्ट्रीया

तो शायद इसी वजह से शासन प्रशासन नही कर रहा कोई कार्यवाही

एमडीडीए ने कि सारी हदे पार गोल्डल फोरेस्ट की भूमि में ही कर डाले प्लाटो के नक्शे पास
एसआईटी टीम अब तक गोल्डन फोरेस्ट की भूमि बेचने वाले भूमाफियाऔ के खिलाफ 10 मुकदमे दर्ज कर चूकी है जिसमे तहसील विकासनगर के लेखपाल व कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया
देहरादून। मौजा धोरणखास मैं गोल्डन फॉरेस्ट की लगभग 22 बीघा जमीन धडल्ले से बेखोफ प्लाटिंग की जा रही है जिसमे अब तक दो दर्जन से ज्यादा रजिस्ट्रीया हो चूकी खास बात गोल्डन फोरेस्ट की भूमि राज्य सरकार में निहित है एंव क्रय विक्रय पर भी रोक लगी हुई है रोक के बावजूद शासन प्रशासन की मिलीभगत कर भूमाफिया खुलेआम भूमि पर प्लाटिंग कर रहे है वैसे तो प्लाटिंग की कोई एमडीडीए विभाग से कोई स्वीकृति नही है पर प्लाट की रजिस्ट्री कराने के बाद माफियाओं द्वारा विभाग में साठगांठ कर नक्शा पास आसानी से करा देते है। जानकारी के अनुसार मौजा धोरणखास मैं गोल्डन फॉरेस्ट की लगभग 22 बीघा जमीन है जो दिनाक 09,08,1995 मैं खातेदारों से गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष कर्नल बलबीर सिंह को रजिस्ट्री की गई भूमाफिया ने एक फर्जी कर्नल बलबीर सिंह बनाकर 2007 मैं भूमि के कागजात से छेड़छाड़ कर कोमिल कुमार पुत्र बलबीर सिंह निवासी 132 /352 राजपुर रोड देहरादून सुरेश पेटवाल पुत्र के आर पेटवाल निवासी 208 स्कूल ब्लॉक शकरपुर दिल्ली ने अपना नाम दर्शाया और लगभग 25 रजिस्ट्री कर दी फर्जीवाडें के इस खेल में अब तक दर्जन से ज्यादा रसूखदारो व गेंगस्टर व बाहरी जिले के अपराधिक किस्म के लोगो की मिलीभगत पाई गई है एक शिकायत के बाद जॉच में कई एहम परते खुली तो राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस को जॉच धीमी करनी पढी।
नकली मालिक बनकर की गई रजिस्ट्रीया
जांच में अब तक सामने आया है कि पूर्व में जमीन का असली मालिक कर्नल था। उनकी देहरादून में काफी मात्रा में जमीन थी। ऐसे में भूमाफिया ने इसी का फायदा उठाते हुए कर्नल की जगह दूसरा व्यक्ति दर्शाया और जमीनों की रजिस्ट्रीया करनी शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि जमीन आम आदमी को ही नहीं कुछ रसूखदारों को भी बेची गई। रसूखदारों ने यह जमीन मिलीभगत से ली या वह भी ठगी के शिकार हुए हैं, इसकी जानकारी जांच के बाद ही मिल सकेगी

अब तक रिकार्ड अनुसार की गई रजिस्ट्री गोल्डल फोरेस्ट की भूमि धोरणखास में
(1)पुष्पा बहुगुणा को दिनाक 29,04,2022 (2) पवन कुमार को दिनाक 8,8, 2022
(3)दर्शनी देवी नौटियाल को दिनाक 29,04,2022 (4)अजय नौटियाल को दिनाक 29,04,2022
(5) सुरेंद्र प्रसाद नौटियाल को दिनाक 29,04,2022 (6) शकुंतला देवी को दिनाक 06,05,2022
(7) सुमन नौटियाल को दिनाक 29,04,2022 (8)सलोनी कुकरेती को 06,05,2022
(9)रितु गॉड को दिनाक 27,06,2022 (10) दिनेश सिंह को दिनाक 6 ,6 2023
(11)अमित कुमार को दिनाक 6, 6, 2023 (12) दिनेश सिंह बिष्ट को दिनाक 6, 6, 2023
(13) रेनू सिंह को 7, 6, 2023 (14) पारुल को दिनाक 7, 6, 2023
(15) टीना दहियाको दिनाक 7,6, 2023 (16)अनिल कुमार को दिनाक 23,6, 2023
(17)अनमोल रावत को दिनाक 21, 9, 2023 राजिष्ट्रीया की गई।

गोल्डन फोरेस्ट की भूमि को बेचने को नया पैतरा अपनाया भूमाफियााओं ने प्लाट पर गेट लगाकर लिख दिया आई,पी,एस दिनेश बिष्ट
धोरणखास में हुए गोल्डन फोरेस्ट की भूमि को बेचने के लिये भूमाफियाऔ ने गजब का पैतरा अखतियार किया एक प्लॉट पर चार दिवारी कर उसपर गेट लगाया गया गेट पर लिखा गया दिनेश बिष्ट आई,पी,एस ताकि प्लॉट खरीदार आये तो चकीन हा जाये कि जब एक आई,पी,एस ने प्लॉट खरीदा है तो भूमि पाक साफ है। आपको बता दे कि दिनेश बिष्ट के नाम पर भी लगभग 334 वर्ग मीटर की दो रजिस्ट्रीया है।
एसआईटी टीम की जॉच के बाद हुए गोल्डन फोरेस्ट की भूमि मे 10 मुकदमे पर धोरणखास की भूमि पर कोई एसआईटी जॉच नही, कोई विभागीय जॉच नही, एमडीडीए विभाग मौन
एसआईटी टीम ने माना कि फर्जीवाडे मे तहसील विकासनगर के कर्मचारियों व पटवारी की मिलीभगत है टीम द्वारा दर्ज मुकदमे में लेखपाल व कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया।
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच के लिए गठित एसआईटी की जांच में गोल्डन फॉरेस्ट की हजारों हेक्टेयर जमीन को फर्जी तरीके से बेचने का खुलासा हुआ है। यह तथ्य सामने आया है कि गोल्डन फॉरेस्ट की समस्त जमीन राज्य सरकार में निहित हो गई थी। इसके बाद भी इस पर सरकार ने कब्जा नहीं लिया और हजारों हेक्टेयर भूमि को भूमाफियाओं ने मिलीभगत कर बेच दी इसपर राजस्व कर्मियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। एसआईटी की एक रिपोर्ट के आधार पर 10 मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल ने गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी के फर्जीवाड़े की पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसमें बताया गया कि गोल्डन फॉरेस्ट की 4000 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन है। विकास नगर, मिसरास पट्टी, मसूरी और धनोल्टी एंव कई क्षेत्रो मे है। लंबे समय से गोल्डन फॉरेस्ट की जमीनों पर कब्जों के चलते राजस्व विभाग ने काफी जमीन विभिन्न सरकारी विभागों को आवंटित कर दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही 10 मुकदमे दर्ज कराए गए।
एसआईटी के विशेष कार्याधिकारी अजब सिंह चौहान ने रिपोर्ट में बताया कि हजारों हेक्टेयर भूमि जो पूर्व में ही गोल्डन फॉरेस्ट को विक्रय की जा चुकी है, उसे अन्य व्यक्तियों को बेचना पाया गया है। यह काम साजिश के तहत किया। इससे आपसी सांठगांठ साबित हो रही है। गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया की भूमि राज्य सरकार में निहित होने के बावजूद उसे बेचना गया। राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाने की नीयत से यह किया गया। एसआईटी ने राजीव दुबे, विनय सक्सेना, रविंद्र नेगी, संजय कुमार, रेणू पांडे, अरुण कुमार, संजय घई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।

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