
एक देश एक चुनाव से और अधिक सशक्त होगा लोकतंत्रः धामी
संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में मुख्यमंत्री ने किया प्रतिभाग
दोनों चुनाव एक साथ कराने से कुल व्यय में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक की बचत होगी
बार -बार चुनाव होने से लोगों में मतदान के प्रति रुझान कम होता है
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मसूरी रोड स्थित एक होटल में “एक देश, एक चुनाव” विषय पर संयुक्त संसदीय समिति के साथ संवाद कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पी. पी. चौधरी एवं समिति के सभी सदस्यगणों का स्वागत और अभिनंदन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ हमारे लोकतंत्र को और अधिक सशक्त, प्रभावी और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि हमारी चुनाव प्रणाली विविधताओं के बावजूद प्रभावी और मजबूत रही है, लेकिन अलग-अलग समय में चुनाव होने से बार-बार आचार संहिता लगती है, इसके चलते राज्यो के सारे काम ठप पड़ जाते हैं। जब भी चुनाव आता है, तो बड़ी संख्या में कार्मिकों को मूल कार्य से हटाकर चुनाव ड्यूटी में लगाना पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन सालों में राज्य में विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनावों की आचार संहिता के कारण 175 दिन तक राज्य की प्रशासनिक मशीनरी नीतिगत निर्णय लेने की प्रक्रिया से वंचित रही। छोटे और सीमित संसाधनों वाले राज्य के लिए ये 175 दिन शासन व्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा निर्वाचन का पूर्ण व्यय भार राज्य सरकार वहन करती है और लोकसभा निर्वाचन का व्यय भार केंद्र सरकार द्वारा उठाया जाता है। दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं तो राज्य और केंद्र सरकार पर व्यय भार समान रूप से आधा-आधा हो जाएगा। दोनों चुनाव एक साथ कराने से कुल व्यय में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक की बचत होगी। इसका उपयोग राज्य के स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, जल, कृषि एवं महिला सशक्तिकरण जैसे अनेक क्षेत्रों में किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में जून से सितंबर का समय चारधाम यात्रा के साथ- साथ, बारिश का भी होता है, ऐसे में चुनावी कार्यक्रम होने से बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा जनवरी से मार्च तक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही के समय भी चुनावी प्रक्रिया निर्धारित नहीं की जानी चाहिए। फरवरी-मार्च के माह में हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट बोर्ड परीक्षाएं होने से प्रशासनिक संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्यों में “एक देश एक चुनाव” महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के दुर्गम क्षेत्रों में मतदान केंद्रों तक पहुंचना कठिन होता है, जिसके कारण चुनाव की प्रक्रिया में अधिक समय और संसाधन लगते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में मतदाताओं के लिए चुनाव में भाग लेना भी चुनौतीपूर्ण होता है, बार -बार चुनाव होने से लोगों में मतदान के प्रति रुझान कम होता है और मतदान प्रतिशत भी घटता है।
‘एक देश एक चुनाव’ मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति से मिला भाजपा का प्रतिनिधि मंडल
देहरादून। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने आज ‘एक देश एक चुनाव’ मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के सम्मुख पार्टी का पक्ष प्रस्तुत किया है। जिसमें विकसित भारत निर्माण के लिए इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए उत्तराखंड भाजपा की तरफ से पूर्ण समर्थन किया गया। वहीं कोविद समिति की इस रिपोर्ट को देश की भावना बताते हुए, देशहित में जरूरी बताया।
दो दिवसीय प्रवास के तहत देहरादून पहुंची जेपीसी सदस्यों से आज मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में विधायक सहसपुर सहदेव पुंडीर, दायित्वधारी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉक्टर देवेंद्र भसीन, रमेश गाड़िया, प्रदेश मंत्री आदित्य चौहान शामिल हुए। इस मुलाकात में उन्होंने संसदीय समिति सदस्यों के सम्मुख मौखिक एवं लिखित रूप से स्पष्ट किया कि भाजपा उत्तराखण्ड इस विचार तथा इस दिशा में अपनाई जा रही प्रकिया का पूर्ण समर्थन करती है। जिसमें कहा गया कि आज भारत बदल रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक नई ऊंचाई को स्पर्श कर रहा है। प्रधानमंत्री एक भारत श्रेष्ठ भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के सिद्धांत को पुनः प्रतिपादित कर देश को नई दिशा दी है।
पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा गए कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। परिस्थितिजन्य कारणों से केंद्र,राज्य और स्थानीय निकाय स्तर पर अलग-अलग समय पर चुनाव कराए जाते हैं । इस व्यवस्था के कारण राजनीतिक अस्थिरता, विकास कार्यों में बाधा और अत्यधिक व्यय जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। ऐसे में ष्एक देश, एक चुनावष् का विचार इन समस्याओं का समाधान भी है और देश को नये समय के साथ नया आयाम देने वाला है। इसमें लोक सभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव चरणबद्ध तरीके से कराने की व्यवस्था है। यह व्यवस्था प्रशासनिक सुधार, लोकतंत्र की मजबूती और संसाधनों की बचत की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में स्वतंत्रता के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में संपन्न लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए गए थे। किंतु 1968-69 में कुछ राज्य सरकारें समय से पहले गिर गईं, जिससे यह क्रम टूट गया। इसके बाद असमय सरकारों के भंग होने के कारण चुनावों की समय-सीमा अलग-अलग होती गई और आज की स्थिति यह है कि लगभग हर वर्ष देश के किसी न किसी हिस्से में चुनाव होते रहते हैं और देश हमेशा चुनावी मोड पर रहता है। चुनाव आयोग हो या राजनीतिक दल, प्रशासनिक मशीनरी, सुरक्षा बल व अन्य विभिन्न एजेंसियां देश में कहीं न कहीं चुनाव में व्यस्त दिखाई देती हैं। भाजपा उत्तराखण्ड का मानना है कि यह स्थिति जन हित में नहीं है इसलिए ष्एक राष्ट्र एक चुनावष् देश के लिए आवश्यक है।
भाजपा का इस बात पर विश्वास है कि एक राष्ट्र एक चुनाव से कई चुनावी, प्रशासनिक, आर्थिक, राजनीतिक सुधार और लाभ जुड़े हैं। एक साथ चुनाव कराने से चुनावों पर वर्तमान में जो व्यय हो रहा है उसमें भारी कटौती आएगी। वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव में ही 1 लाख करोड़ रुपए व्यय हुए। यदि चुनाव एक साथ कराए जाएंगे तो व्यय में 12000 करोड़ रुपये की बचत होती और जी डी पी में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि होती। बार-बार चुनाव कराने से सुरक्षा बल, सरकारी अधिकारी, स्कूल भवन, वाहन, इत्यादि की बार-बार आवश्यकता होती है। एक साथ चुनाव से इन संसाधनों की बचत होगी।