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फर्जी कर्नल बलबीर सिंह बन कर दी गोल्डन फॉरेस्ट जमीन की राजिष्ट्रीया

एमडीडीए विभाग भी कम नही सरकार मैं निहित भूमि के कर डाले नक्शे पास

देहरादून। रायपुर क्षेत्र में पड़ते धोरणखास में गोल्डन फारेस्ट की जमीन मैं हुई 22 राजिष्ट्रीया करने एक बड़ा मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार भूमाफियों ने अलग-अलग व्यक्ति खड़ा कर और फर्जी तरीके से गोल्डन फारेस्ट की फर्द से नाम हटाकर अपना नाम दर्शाया और जमीन की 22 रजिस्ट्रियां कर दी। जमीन खरीद फरोख्त में करीब 40 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन सामने आया है। इस मामले की शिकायत जब एसएसपी अजय सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने सीओ रायपुर अभिनव चौधरी को प्रकरण की जांच सौंप दी है। जांच के बाद कई भूमाफिया सलाखों के पीछे जा सकते हैं।
एसएसपी को दी शिकायत में सेवलाकलां निवासी एक व्यक्ति ने बताया कि भूमाफिया की ओर से मौजा धोरणखास खसरा नंबर 236क जोकि करीब साढ़े 22 बीघा सरकारी भूमि जोकि गोल्डन फारेस्ट इंडिया लिमिटेड की है। गोल्डन फारेस्ट भूमि पर अनुबंध पत्र व रजिस्ट्री पर भी रोक लगी हुई है। वर्ष 1995 में खातेदारों ने यह जमीन गोल्डन फारेस्ट को बेच दी थी। भूमाफिया ने एक फर्जी कर्नल बलबीर सिंह बनाकर 2007 मैं कोमल कुमार निवासी राजपुर रोड, सुरेश पेटवाल, निवासी दिल्ली और कैलाश चंद्र को रजिस्ट्री कर दी इसके बाद करीब 22 रजिस्ट्रियां कर करीब 40 करोड़ रुपये में जमीन बेच दी।
एसएसपी ने मामले को गंभीरता लेते हुए सीओ रायपुर अभिनव चौधरी को जांच सौंपते हुए 10 दिनों में जांच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। एसएसपी ने बताया कि सरकारी भूमि को बेचना कानून अपराध है। ऐसे में गंभीरता से मामले की जांच करवाई जाएगी। मामले में जिस किसी की भी संलिप्तता पाई जाती है, उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

नकली मालिक बनकर की गई रजिस्ट्रियां
जांच में अब तक सामने आया है कि पूर्व में जमीन का असली मालिक कर्नल था। उनकी देहरादून में काफी मात्रा में जमीन थी। ऐसे में भूमाफिया ने इसी का फायदा उठाते हुए कर्नल की जगह दूसरा व्यक्ति दर्शाया और जमीनों की रजिस्ट्रियां करनी शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि जमीन आम आदमी को ही नहीं कुछ रसूखदारों को भी बेची गई। रसूखदारों ने यह जमीन मिलीभुगत से ली या वह भी ठगी के शिकार हुए हैं, इसकी जानकारी जांच के बाद ही मिल सकेगी।

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