केदारनाथ हाईवे पर बोल्डर गिरने से फंसे 1300 यात्री
पुलिस व सुरक्षा जवानों ने तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित निकाला
गत 31 जुलाई केदारनाथ हाईवे का बहुत बड़ा हिस्सा मंदाकिनी नदी में समाया गया था
यात्री सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच स्लाइडिंग जोन में फंसे
रुद्रप्रयाग। सोनप्रयाग से आगे केदारनाथ हाईवे के स्लाइडिंग जोन पर भारी भूस्खलन हो गया। जिस कारण सैकड़ों की संख्या में यात्री दोनों ओर फंस गए। सुरक्षा जवानों की ओर से यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। हालांकि, अब मौसम साफ होने पर यात्रा सुचारू हो गई है।
केदारघाटी में हुई बारिश के कारण सोनप्रयाग से कुछ आगे केदारनाथ हाईवे पर भारी भूस्खलन हो गया। यहां पहाड़ी से भारी मात्रा में बोल्डर गिर गए। यह वही स्थान है, जहां 31 जुलाई को आई आपदा में केदारनाथ हाईवे का बहुत बड़ा हिस्सा मंदाकिनी नदी में समा गया था। जिसके बाद यहां पर वैकल्पिक आवाजाही के लिए रास्ता तैयार किया गया। लेकिन पहाड़ी से लगातार गिर रहे बोल्डरों के कारण यात्रा प्रभावित हो गई और यात्री दोनों ओर फंस गए। जिसके बाद सुरक्षा जवानों ने यात्रियों को सकुशल निकाला।
केदारघाटी में भारी बारिश जारी है। बारिश के बीच केदारनाथ धाम दर्शन के बाद लौटे यात्री सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच स्लाइडिंग जोन में फंस गए। रास्ता बंद होने के कारण गौरीकुंड में करीब 1300 यात्री एकत्रित हो गए, जिन्हें जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस एवं डीडीआरएफ की टीम ने सुरक्षित सोनप्रयाग तक पहुंचाया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने इस दौरान यात्रा पर आ रहे श्रद्धालुओं को मौसम की जानकारी लेने के बाद ही यात्रा पर आने की सलाह दी है। बरसात के समय यात्रा से बचने, गर्म कपड़े, छाता और बरसाती साथ रखने की अपील भी की।
बिधौली मांर्ग को खोलने मौके पर पहुंची प्रशाासन की टीम
देहरादून। उत्तराखंड में मानसून की भारी बारिश कहर बरपा रही है। विकासनगर तहसील क्षेत्र के नंदा की चौकी से पौंधा बिधौली आदि क्षेत्रों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भूकटाव की चपेट में आने से नामोनिशान मिट गया है। सूचना पर तहसील प्रशासन के साथ संबंधित विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम ग्रामीणों को हुए नुकसान का आकलन कर रही है। क्षतिग्रस्त सड़क पर वैकल्पिक मार्ग तैयार कर यातायात सुचारू किया गया।
गौर हो कि भारी बारिश के कारण नंदा की चौकी से पौंधा बिधौली आदि क्षेत्रों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भूकटाव की चपेट में आ गया है। जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भूकटाव से रोड का नामोनिशान मिट गया है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार विभाग को इस मोटर मार्ग पर सुरक्षात्मक कार्य करने के लिए प्रस्ताव दिए गए, लेकिन 3 वर्ष बाद भी विभाग द्वारा मार्ग पर सुरक्षात्मक कार्य नहीं किया। जिसका नतीजा यह हुआ की बरसात के कारण भूकटाव हुआ और सड़क बह गई है। जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं।
एसडीएम विकासनगर विनोद कुमार ने बताया कि विकास नगर तहसील में कुछ जगह पर भारी बारिश से नुकसान हुआ है। बिधौली में पानी का भराव हुआ है और सड़क भी क्षतिग्रस्त हुई है। प्रशासन व नगर पालिका की टीम को भी फील्ड में उतारा गया है। जहां भी शिकायत आएगी, इसका संज्ञान लिया जाएगा। नंदा की चौकी से आगे जाकर जो सड़क टूटी है वहां डायवर्ट किया जा रहा है। बता दें कि प्रदेश में लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई संपर्क मार्ग बाधित होने से लोगों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है।
मानसून सीजन में उफनते नाले दे रहे हादसों को न्यौता
रामनगर। कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-309 पर स्थित 6 से 7 बरसाती नालों को हर साल लोग जान जान जोखिम में डालकर पार करते हैं। इन बरसाती नालों में वाहनों के बहने की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। जिसके बाद भी प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। जिससे लोगों को बरसात के सीजन में जान तक गंवानी पड़ती है।
रामनगर को कुमाऊं और गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहा जाता है। नेशनल हाईवे-309 पर रामनगर से अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र तक पड़ने वाले 6 से 7 बरसाती नालों में हर साल कुमाऊं और गढ़वाल को जाने वाले यात्री जान जोखिम में डालकर बरसाती नालों को पार करते हैं। जिससे कई बार वाहन बहने की घटनाएं भी होते रहती हैं और पिछले 15 वर्षों में कई लोगों की जान इन बरसाती नालों में बहने से हो चुकी है।
गौर हो की रामनगर से अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र तक 6 से 7 बरसाती नाले हर वर्ष यात्रियों के लिए मुसीबत का सबब बनते हैं। ये बरसाती नाले 15 सालों कई लोगों की जान ले चुके हैं। उसके बावजूद भी प्रशासन आज तक इन नालों के ट्रीटमेंट को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया। बता दें कि नेशनल हाईवे-309 पर रामनगर से कुमाऊं और गढ़वाल को जाते समय पहला बरसाती नाला रिंगोडा से आगे पड़ता है। दूसरा बरसाती नाला मवाड़ी (ढिकुली) में पड़ता है, तीसरा बरसाती नाला छोटा पनोद, चौथा पनोद बरसाती नाला, पांचवा धनगढ़ी, छटा अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में पन्याली नाला व सातवां भी पन्याली नाला ही पड़ता है, जो घूमकर रोड पर आता है।
नालों के उफान पर आने पर लोगों को कई घंटे इंतजार करना पड़ता है, कई बार रात-रात भर इन नालों के बीच में यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है। साथ ही यात्री कई बार जान जोखिमों में डालकर अपने वाहनों को भी इन उफनते बरसाती नालों में डाल देते हैं। जिससे पूर्व में कई हादसे हुए हैं। इस बार भी कई यात्री वाहनों सहित इन नालों में बहे, लेकिन गनीमत रही कि कोई जनहानि की घटना सामने नहीं आई।
पनोद व धनगढ़ी नाले में पुल के निर्माण का कार्य पिछले 3 वर्षों से गतिमान है, जिसको केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा ने 2025 में पूर्ण करने की बात कही। वहीं मामले में रामनगर उपजिलाधिकारी राहुल शाह ने कहा कि प्रशासन द्वारा इन बरसाती नालों के पास जेसीबी को तैनात किया गया है। नाले के उफान पर आने पर सड़क पर मलबा इकट्ठा हो जाता है उसे तत्काल हटाकर आवाजाही दुरुस्त की जा रही है।