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कोर्ट ने थाना खाली करने और बिल्डिंग गिराने पर लगाई रोक

पुलिस विभाग को मिली राहत

बसंत विहार थाना चाय बागान में बनाने का मामला
देहरादूनः चाय बागान की जमीन पर बसंत विहार थाना बने होने के मामले पर पुलिस विभाग को कोर्ट से राहत मिली है। जिला जज ने सिविल कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सिविल कोर्ट द्वारा 29 नवंबर को राज्य सरकार और पुलिस को 30 दिन में जगह खाली कराने और संपत्ति को ध्वस्त करने के आदेश पारित किए थे। बुधवार को पुलिस विभाग ने कोर्ट में अपील करने के बाद जिला जज ने आदेश पर रोक लगाकर अपील स्वीकार की और सुनवाई के लिए 3 फरवरी 2024 की तिथि तय की है।
दरअसल, हरबंस वाला देहरादून में डीटीसी इंडिया लिमिटेड की चाय बागान की जमीन है। कंपनी के प्रबंधक एनके मिश्रा की ओर से सिविल कोर्ट में 26 सितंबर 2003 को केस दायर किया गया। कहा गया कि यहां चाय बागान की जमीन पर अवैध तरीके से पुलिस ने कब्जा किया। इस पर निर्माण किया गया। चाय बागान कंपनी के वकील गौरव शर्मा के मुताबिक यह जमीन साढ़े नौ बीघा है।पुलिस ने कोर्ट में कहा कि इस जमीन पर विभाग ने निर्माण में करीब साढ़े छह करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। जिसके बाद बसंत विहार थाने की भूमि के संबंध में न्यायालय द्वितीय अपर सिविल जज (सीडी) देहरादून के न्यायालय में प्रचलित संपति वाद टी स्टेट बनाम राज्य सरकार केस में 29 नवंबर 2023 को न्यायालय ने भूमि का कब्जा 30 दिन में कंपनी को प्रदान करने और मौके पर निर्मित संपत्ति को ध्वस्त करने के आदेश पारित किए गए। न्यायालय द्वारा जारी आदेश पर पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड ने एसएसपी देहरादून के पर्यवेक्षण में अपील कर पैरवी करने के आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया है कि जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल से मामले की सभी जानकारी लेकर और भूमि के संबंध में न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने के लिए सीओ सिटी और थानाध्यक्ष थाना बसंत विहार को पैरवी के लिए नियुक्त किया गया। जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल के माध्यम से मामले में जिला जज देहरादून के न्यायालय में अपील प्रस्तुत की गई। जिसमें न्यायालय जिला जज देहरादून द्वारा 2 जनवरी को सुनवाई करते हुए आदेश पर रोक लगाकर अपील स्वीकृत की गई और सुनवाई के लिए अग्रिम 3 फरवरी 2024 की तिथि नियत की गई है।

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