
तहसीलदार एवं लेखपाल की फर्जी रिपोर्ट बनाकर बेची जा रही सरकारी जमीनें
राजधानी में धामी सरकार की नाक के नीचे फर्जीवाड़ा अधिकारी क्यों खामोश
देहरादून। ग्राम समाज एवं सरकारी विभागों को आवंटित भूमियों को भूमाफियाओं ने अपना निवाला बनाने के लिए एक नया पेत्रा अख्तियार कर लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नाक के नीचे से सरकारी जमीनों को धड़ल्ले से बेचने वाले भूमाफियाओं का किसी अधिकारी का भी खौफ नहीं दरअसल माफियाओं ने एक नया पेत्रा अख्तियार किया है किसी अन्य भूमि के पेपर या तो खरीदे जाते है या फिर असली मालिक के स्थान पर फर्जी मालिक बना दिया जाता है एवं जिनकी जमीन राज्य सरकार मै गई हो उसके नाम से भी तहसील मै एक आवेदन किया जाता है दिखावे के तौर पर जिसमें लिखा होता है तहसीलदार महोदय मेरा खसरा नंबर xyz है मुझे अपनी भूमि की सीमांकन एवं मेरी भूमि क्या गोल्डन फॉरेस्ट मै है क्या और भूमाफिया द्वारा उसपर लिखा जाता है कि रिपोर्ट सेवा में प्रेषित है उक्त खसरा नंबर गोल्डन फॉरेस्ट से बाहर है फर्द मै राज्य सरकार अंकित नहीं है फिर भूमाफिया द्वारा लेखपाल एवं तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी मोहर लगा दी जाती है जमीन ग्राहक को फर्द एवं फर्जी रिपोर्ट के जरिए विश्वाश मै लेकर सरकारी विभागों को आवंटित भूमियों पर अपना कब्जा दर्शाकर रजिस्ट्रियां करा दी जाती है फिलहाल ऐसे कई मामले सामने आए है जिसमें लगभग 25 बीघा सरकारी भूमि को भूमाफिया अपना निवाला बनाकर करोड़ों रुपए डकार चुके है ।