माइनस डिग्री तापमान में यात्रियों की सेवा में जुटे अधिकारी-कर्मचारी

माइनस डिग्री तापमान में यात्रियों की सेवा में जुटे अधिकारी-कर्मचारी
केदारनाथ यात्रा अधिकारियांे के साथ ही अन्य कार्मिकों व जवानों के लिये कठिन परीक्षा
3,584 मीटर की ऊंचाई पर व्यवस्थाएं बनाना नहीं है आसान
मजिस्टेªट से लेकर पीआरडी जवान हैं केदारनाथ यात्रा के असली हीरो
रुद्रप्रयाग। माइनस डिग्री तापमान में केदारनाथ यात्रा पड़ावों में तैनात अधिकारी-कर्मचारी और जवान देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे हुए हैं। कंप-कंपाती ठंड में श्रद्धालुओं को हो रही परेशानियों को दूर कर रहे हैं। पैदल पड़ाव से लेकर धाम तक तैनात ये कर्मचारी अपने कर्तव्यों का डटकर सामना करना कर रहे हैं और श्रद्धालुओं के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहे हैं।
केदारनाथ धाम की यात्रा देश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है। केदारनाथ धाम समुद्र तल से लगभग 3,584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर बसा हुआ है। केदारनाथ धाम पंच केदरों में से एक हिस्सा है और देश के 12 ज्योतिर्लिंगांे में से एक है। छह माह केदारनाथ धाम के कपाट बंद रहते हैं तो छह माह भक्तों के लिए खुलते हैं।
केदारनाथ पहुंचने के लिए कठिन बीस किमी की चढ़ाई पार करनी होती है। विषम कठिनाइयों के बीच प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में भक्त बाबा केदार के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। सीमित संसाधनों एवं विपरीत परिस्थितियों के बीच राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के प्रयासों से ही यात्रा का संचालन होता है, लेकिन इस कठिन यात्रा के सफल संचालन का श्रेय उनको मिलना चाहिए, जो तमाम मुश्किलों से जूझते हुए 24 घंटे धरातल पर रहकर व्यवस्थाओं को मजबूती प्रदान करते हैं। यात्रा मार्ग में तैनात रहने वाले अधिकारी-कर्मचारी, सुरक्षा जवान एवं अन्य कार्मिकों को यात्रा का हीरो कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। कहते हैं कि केदारनाथ धाम वही भक्त आ पाता है, जिसको बाबा का बुलावा आता है। केदारनाथ धाम को साक्षात स्वर्ग की संज्ञा दी गई है। 16-17 जून 2013 की विनाशकारी आपदा के बाद केदारनाथ धाम की स्थितियां पूरी तरह से बदल चुकी हैं। केदारनाथ धाम हिमालयी क्षेत्र में स्थित है। यहीं से मंदाकिनी और सरस्वती नदी का भी उदगम होता है। शीतकाल के छह माह अत्यधिक बर्फबारी के कारण केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैं। ग्रीष्मकाल के छह माह ही बाबा केदार के कपाट भक्तों के दर्शनों के लिये खुले रहते हैं।
अक्सर यात्राकाल के दौरान देखा जाता है कि भक्त और स्थानीय लोग व्यवस्थाओं पर प्रश्चचिन्ह खड़ा कर देते हैं, लेकिन किन कठिन परिस्थितियों में यहां व्यवस्थाएं बनाई गई हैं, इसके बारे में कोई नहीं सोचता है। केदारनाथ धाम हिमालयी क्षेत्र है। यहां का मौसम पल-पल बदलता रहता है। कभी बर्फबारी, कभी धूप तो कभी बारिश होना आम बात है। जहां लोग ठंडी ऐसी में बैठकर यात्रा पर जाने का विचार बनाते हैं। वहीं, प्रशासनिक अधिकारी और जवान माइनस डिग्री तापमान में धरातल पर यात्रा की तैयारियां करते हैं। यात्रा शुरू होने से पहले माइनस डिग्री तापमान में बिजली के पोलों, टूटे हुये पैदल रास्तों, पानी के पाइपों, भवनों आदि को दुरूस्त करना कोई आसान कार्य नहीं है। असली चुनौती तो यात्रा शुरू होने के बाद आती है, जब प्रत्येक दिन हजारों यात्री पहुंचते हैं और उनको बेहतर सुविधाएं देना लक्ष्य होता है। अक्सर यात्रा मार्ग पर तैनात अधिकारी-कर्मचारी एवं कार्मिक 24 घंटे कार्य करने में जुटा रहता है। सुबह से लेकर सांय तक अधिकारी को पानी, बिजली, सफाई, यात्री की समस्या आदि का समाधान करना होता है। ऊपर से यात्रियों के अलावा स्थानीय लोगों की शिकायतों को सुनना और फिर त्वरित गति से उनका निराकरण करना आसान नहीं होता है। सुबह के समय यात्रियों को धाम भेजना, फिर यात्रियों के नीचे आने का इंतजार करना और सुरक्षित भेजने तक किसी भी कार्मिक के लिये बहुत सामान्य नहीं है।
कुल मिलाकर देखा जाय तो धाम और पैदल यात्रा मार्ग पर तैनात रहने वाले अधिकारी-कर्मचारी और अन्य कार्मिकों के लिये केदारनाथ धाम की यात्रा एक कठिन तपस्या है। कार्मिक दिन-रात का सुख-चैन खोकर अच्छी व्यवस्थाओं को बनाने में जुटे रहते हैं। यदि कभी कोई अप्रिय घटना घट गई तो उसका निराकरण करना और यात्रियों को किस तरह से सुरक्षित निकालना है, यह उनके सामने एक कठिन चुनौती होती है। सेक्टर अधिकारी, सब सेक्टर अधिकारी, पीआरडी, होमगार्ड जवान, सफाई-कर्मी, सुरक्षा जवान सहित यात्रा डयूटी में तैनात रहने वाले अन्य कार्मिक यात्रा के असील हीरो हैं। जो दिन-रात एक करके बेहतर व्यवस्थाएं बनाने में जुटे रहते हैं।
केदारनाथ धाम में बतौर सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात खंड विकास अधिकारी अनुष्का ने अपना अनुभव साझा करते हुये कहा कि बतौर यात्रा मजिस्ट्रेट यह उनकी पहली ड्यूटी है और यह उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय है, लेकिन सीख से भरी हुई ड्यूटी है। हर दिन हजारों श्रद्धालुओं की यात्रा सुव्यवस्थित एवं निर्बाध रूप से चलती रहे यह सुनिश्चित करना अपने आप में बड़ी जिम्मेदारी है। न्यूनतम संसाधनों में हम लोग यहां 24 घंटे ड्यूटी करते हैं, कई बार आपातकाल स्थिति में ऐसा भी होता है कि दिन में दो से तीन घंटे की नींद भी पूरी नहीं हो पाती, लेकिन अगले दिन हमें फिर से पूरी ऊर्जा के साथ नए दिन की शुरुआत करनी होती है। युवा कल्याण अधिकारी शरद जोशी ने कहा कि श्री केदारनाथ धाम यात्रा अपने आप में एक अलग अनुभव एवं ड्यूटी है। मैं यहां पर बतौर सेक्टर मजिस्ट्रेट कार्य कर रहा हूं, लेकिन हर दिन एक नई चुनौती हमारे सामने होती है और हर दिन हमें कुछ नया सीखने को मिलता है।
रात-दिन श्रद्धालुआंे की सेवा में तैनात: डॉ गहरवार,
रुद्रप्रयाग। जिलाधिकारी डॉ सौरभ गहरवार ने कहा कि केदारनाथ धाम यात्रा सबसे कठिन यात्राओं में से एक है। यहां ड्यूटी करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के समर्पण एवं निष्ठा के चलते ही यह यात्रा सफल होती है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा के धाम दर्शनों को पहुंचते हैं। यात्रा के सफल संचालन के लिए दिन रात काम करने वाले कुशल एवं दक्ष कर्मचारियों के कठिन परिश्रम के कारण ही बाबा के धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु यहां से आशीर्वाद के साथ सुखद यादें भी लेकर जाते हैं। यही सभी कार्मिक इस यात्रा के असली हीरो हैं।