
लोनी अर्बन को-ऑपरेटिव सोसाइटी ने किया 92 करोड़ का घोटाला
मुख्य आरोपी दुबई में जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश
देहरादून। गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक राजीव स्वरूप ने एक प्रेस वार्ता में खुलासा किया कि एलयूसीसी यानी लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी ने उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हजारों निवेशकों से धोखाधड़ी की गई है। इस मामले में अब तक 92 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी सामने आई है।
आईजी राजीव स्वरूप के अनुसार, यह सहकारी समिति उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ कई अन्य राज्यों में भी सक्रिय थी, जिसने आमजन को 4 से 5 वर्षों में निवेश की राशि को दोगुना करने का लालच देकर आकर्षित किया। बिना वैधानिक अनुमति के उत्तराखंड में संस्था के तत्कालीन निदेशक मानवेन्द्र द्विवेदी द्वारा 35 से अधिक शाखाएं खोली गईं।
समय के साथ निवेशकों ने शिकायतें दर्ज कराईं कि उनकी राशि की मैच्योरिटी होने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया और संस्था के प्रबंधक फरार हो गए। इसके चलते उत्तराखंड में अब तक संस्था के खिलाफ 15 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें 20 अभियुक्त नामजद किए गए हैं। इनमें से 12 की गिरफ्तारी या वारंट जारी हो चुका है।
जांच में सामने आया कि संस्था की स्थापना मुम्बई निवासी समीर अग्रवाल द्वारा की गई थी, जिन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में 6 अलग-अलग नामों से को-ऑपरेटिव सोसायटियाँ चलाईं। वर्तमान में समीर अग्रवाल दुबई में होने की सूचना है।
उत्तराखंड में संस्था के संचालन की जिम्मेदारी उर्मिला बिष्ट और जगमोहन बिष्ट पर थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रकरणों का संज्ञान लिया है और सभी पीड़ित निवेशकों को न्याय दिलाने के लिए इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। उत्तराखंड सरकार ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय को इस संबंध में पत्राचार किया गया है। यह मामला केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, बिहार और पंजाब तक फैला हुआ एक बड़ा अंतरराज्यीय वित्तीय घोटाला है, जिसकी व्यापक और निष्पक्ष जांच अब केंद्रीय एजेंसियों से कराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।