देहरादून। उत्तराखंड में अवैध मजारों के बाद अब अवैध मदरसों का मामला काफी चर्चाओं में आ गया है। कुछ दिनों पहले नैनीताल जिले के ज्योलिकोट में अवैध रूप से संचालित मदरसे को सील किया गया था। यहां से 24 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। इस मामले के सामने आने के बाद ही सीएम धामी ने प्रदेश में संचालित सभी मदरसों का सत्यापन करने के निर्देश दिए थे। बीते कुछ दिनों के भीतर ही उधमसिंह नगर जिले के किच्छा में दो और अवैध रूप से संचालित मदरसे सामने आए हैं। जिसके बाद से ही प्रदेश की सियासत गरमा गई है।
13 अक्टूबर को किच्छा के सिरौलीकला में एक अवैध रूप से संचालित मदरसे पर कार्रवाई की गई थी। साथ ही संचालक समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसके तीन दिन बाद ही इसी क्षेत्र के पुलभट्टा में एक और अवैध मदरसे पर कार्रवाई की गई। इस मदरसे में 22 बच्चियों और दो बच्चों को कमरे में बंद किया गया था। लिहाजा पुलिस की ओर से की गई छापेमारी के दौरान ना सिर्फ इन बच्चे बच्चियों का रेस्क्यू किया गया, बल्कि संचालिका को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मदरसा संचालक फरार चल रहा है। अब इस पूरे मामले पर सरकार लगातार कार्रवाई की बात कह रही है।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि पहले भी जहां अवैध मदरसों के संचालन की जानकारी मिली थी, उन पर कार्रवाई की गई। ऐसे में प्रदेश में जहां भी अवैध मदरसे होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि कानून से ऊपर कोई नहीं है। साथ ही कहा कि अवैध मदरसे किसकी सह पर संचालित हो रहे हैं, वह एक जांच का विषय है। आपको बता दें कि नैनीताल में अवैध मदरसा संचालक का मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को प्रदेश के सभी मदरसों का सत्यापन करने के निर्देश दिए थे।
कांग्रेस बोली अवैध मदरसों के लिए सरकार जिम्मेदार
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने बताया कि नैनीताल और उधमसिंह नगर में अवैध मदरसे पकड़े गए हैं। ऐसे में तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं कि अवैध मदरसे किसकी मदद से और कैसे संचालित हो रहे थे? अगर बच्चों का उत्पीड़न किया जा रहा था, तो अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उत्तराखंड में पिछले 7 सालों से प्रचंड बहुमत वाली भाजपा सरकार है। ऐसे में राज्य में कानून व्यवस्था बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। शीशपाल बिष्ट ने कहा कि जो भी मदरसे संचालित होते हैं, या तो वह वक्फ बोर्ड से संचालित होते हैं, या फिर मदरसा बोर्ड से संचालित होते हैं। बावजूद इसके अगर इस तरह की घटनाएं होती हैं, तो यह बेहद ही शर्मनाक है।