मुख्यमंत्री की टेढ़ी नज़र से खुल गयी उत्तराखण्ड की बंद सड़कें
307 अवरूद्ध मार्गो को खोला गया, प्रदेश में अभी 174 सड़कें बंद
बंद सड़कों को जल्द से जल्द खोलने के सीएम ने दिए आदेश
धामी ने विस्तृत स्टेटस के साथ बंद सड़कों की मांगी रिपोर्ट
देहरादून। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अवरुद्ध मार्गों को खोलने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दिए गए सख्त निर्देशों का व्यापक असर हुआ। मात्र चार दिन में ही 307 अवरुद्ध मार्गों को खोल लिया गया। वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 174 सड़कें बंद हैं। मुख्यमंत्री ने इन मार्गों को भी जल्द से जल्द खोलने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने सचिव आपदा प्रबंधन को 25 सितंबर को अवरुद्ध मार्गों को खोलने के लिए की गई कार्रवाई तथा जो मार्ग नहीं खुल पाए हैं, कारण सहित विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बुधवार को सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक कर जो मार्ग बंद हैं, उन्हें खोलने के लिए प्रभावी रणनीति बनाई जाए। उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार का भी सहयोग मार्गों को खोलने के लिए संबंधित विभागों को चाहिए, जिलाधिकारी वह उपलब्ध कराएं और जल्द से जल्द मार्गों को खोलने सुनिश्चित करें। पिछले दिनों भारी बारिश के कारण राज्य के अलग-अलग जनपदों में काफी संख्या में मार्ग अवरुद्ध हो गए थे, जिसके कारण लोगों को आवाजाही में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सबसे ज्यादा ग्रामीण सड़कें अवरुद्ध होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क अन्य क्षेत्रों से कट गया था। मुख्यमंत्री ने आम जनमानस की दिक्कतों को देखते हुए सचिव आपदा प्रबंधन को जल्द से जल्द मार्ग सुचारु करवाने के लिए व्यापक रणनीति बनाने के निर्देश दिए।
सचिव आपदा प्रबंधन से 25 सितंबर को मांगी स्टेटस रिपोर्ट
देहरादून। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि सड़कों को खोलने में किसी तरह की हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जो भी अधिकारी लापरवाही बरतेंगे उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए। मुख्यमंत्री की सख्ती का असर यह हुआ कि चार दिन में 307 सड़को को खोलकर यातायात सुचारु कर दिया गया है। दिनांक 14 सितंबर को जहां प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लोक निर्माण विभाग, एनएच, पीएमजीएसवाई की कुल मिलाकर 481 सड़कें बंद थी, वहीं दिनांक 18 सितंबर को 174 सड़कें बंद हैं। इस प्रकार चार दिन में ही 307 अवरुद्ध सड़कों को खोल लिया गया है। मुख्यमंत्री ने जो मार्ग अभी नहीं खुल पाए हैं, उन्हें जल्द से जल्द खोलने तथा जिन मार्गों को खोलने में कुछ ज्यादा समय लग सकता है, उनकी विस्तृत रिपोर्ट सचिव आपदा प्रबंधन को भेजने के निर्देश दिए हैं।
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग की मरम्मत में जुटे 400 मजदूर
देहरादून। लगभग डेढ़ महीने पूर्व अतिवृष्टि से प्रभावित हुआ गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग अब अपने मूल स्वरूप में लौटने लगा है। लोक निर्माण विभाग से 400 मजदूर रास्ते को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं। संवेदनशील स्थानों पर रास्ते को पर्याप्त चौड़ा करने के साथ ही सुरक्षा के इंतजाम भी किए जा रहे हैं।
16 किलोमीटर लंबा गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग 31 जुलाई को अतिवृष्टि से व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। मार्ग 29 स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था। इसमें 16 स्थानों पर पूरी तरह से वॉशआउट हो गया है। जगह-जगह बरसाती नाले बह रहे थे, जिससे रास्ते को पार करना मुश्किल हो गया था। एक अगस्त से ही लोक निर्माण विभाग के 60 मजदूरों ने पैदल मार्ग का सुधारीकरण कार्य शुरू कर दिया था। आए दिन बारिश सहित अन्य विषम परिस्थितियों के बावजूद 26 अगस्त को यात्रा के दोबारा शुरू होने तक पैदल मार्ग को घोड़ा-खच्चरों के संचालन के साथ ही पैदल आवाजाही लायक बना दिया था। इन दिनों 400 मजदूर रास्ते को उसका मूल स्वरूप में लौटाने में जुटे हुए हैं। जंगलचट्टी, भीमबली, छोटी लिनचोली, थारू कैंप, कुवेर गदेरा, टीएफटी आदि स्थानों पर गेविन वाल व सीसी पुश्ता तैयार कर रास्ते को पर्याप्त चार किलोमीटर चौड़ा किया जा रहा है। साथ ही बरताती नाले और एवलॉन्च जोन में पुलिया बनाई गई हैं। इससे आवाजाही में यात्रियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हो। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रामबाड़ा में मंदाकिनी नदी पर 70 मीटर लंबा बैलीब्रिज प्रस्तावित है। अभी यहां पर हल्का लोहे का पुल बनाया गया है, इससे यात्रा का संचालन हो रहा है। बता दें कि जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था, तब से यहां के हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। इस वर्ष भी बीते 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से रामबाड़ा में दोनों हल्की पुलिया मंदाकिनी के बहाव में बह गईं थीं।