रवि बडोला मर्डर केस: मुख्यमंत्री धामी की ऐसी बैठकों से क्या फायदा जब अधिकारी ही सुनने एवम कार्यवाही को तैयार नही
सलीम अहमद देहरादून
रवि बडोला मर्डर केस: मुख्यमंत्री धामी की ऐसी बैठकों से क्या फायदा जब अधिकारी ही सुनने एवम कार्यवाही को तैयार नही
राज्य में भूमि खरीदने वाले बाहरी व्यक्तियों को भरना होगा घोषणा पत्र ये बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने सिपेह सलारो को समझा तो रहे है पर जब कोई घटना रवि बडोला या हल्द्वानी केस जैसी होती है तब ही धामी सरकार का बैठकों का दौर चलता है मगर बैठकों मैं हिस्सा लेने वाले उच्च स्तरीय अधिकारी धरातल पर ऐसे भूमाफियाओं, अपराधिक किस्म के लोगो पर कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं होते बावजूद इसके जब शिकायतकर्ता ऐसे लोगो के खिलाफ शिकायत कर पूर्ण दस्तावेज दे उसके बाद जांच अधिकारी अपनी जांच मैं फर्जीवाड़े का मामला स्पष्ट लिखकर रिपोर्ट सोप दे फिर भी कार्यवाही न कर फाइल दबा दी जाती है मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य में रह रहे बाहरी लोगों के लिए चलेगा सघन सत्यापन अभियान आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को किया जाएगा चिन्हित क्या ऐसा हो पाएगा ये कोई नही कह सकता।
लगभग सौ करोड़ रूपए डकारे जीएसटी चोर ने
आपको बता दें कि लगभग एक साल पहले सहारनपुर निवासी शिकायत कर्ता ने पुलिस को शिकायत देकर बताया था कि शिमला बाईपास वन विहार मैं रहने वाले शाहनवाज अल्वी ने उसके आधार कार्ड वह पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल करके जीएसटी फॉर्म खुला ली है जिसमें करोड़ों रुपया का लेनदेन किया गया एवं राज्य सरकार एवं भारत सरकार से आईटीसी इनपुट क्लेम लेकर सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया गया खुलासा तब हुआ जब शिकायतकर्ता के पास देहरादून से जीएसटी विभाग का नोटिस पहुंचा शिकायतकर्ता ने पुलिस को शिकायत कर जांच की मांग की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून में जांच सीओ सिटी को सौंप दी जांच में निकालकर सामने आया कि फर्जी फर्म खोलकर आईटीसी का लाभ लेने वाला शाहनवाज अल्वी एवम उसकी पत्नी के नाम पर पहले से ही दो दर्जन से अधिक फर्म है जिसमें करोड़ों के बिल काटकर राज्य एवं भारत सरकार से करोड़ों रुपए का लाभ लिया गया है मगर धामी सरकार के अधिकारियों ने कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठाई जिसका जवाब सिर्फ अधिकारी ही दे सकते है ।
सरकारी भूमि की मिलीभगत
आपको बता दे कि मौजा अधोईवाला में लगभग 36 बीधा सरकारी भूमि में भूमाफियाओं ने सारे नियम कानून ताक पर रख बेच दी यही नही सरकारी जमीन के बावजूद राजस्व विभाग को इसकी भनक तक नही लगी। जानकारी के अनुसान मौजा अधोईवाला में 36 बीधा भूमि में लियाकत, जैतून, समीना का नाम फर्द में दर्ज है हाल में ये भूमि राज्य सरकार के अधीन है पूर्व खातेधारो ने अपने रिश्तेदार आरिफ के नाम पावर आफ अटार्नी कर दी आरिफ ने कुछ भूमाफियाओं से साठगाठ कर नगर निगम में फर्जी तरीके से एस्सेमेन्ट चढ़वा लिया। एस्सेमंेन्ट चढवाकर भूमाफियाओं ने भूमि को बेच दिया पुरे प्रकरण की पूर्ण दस्तावेज देकर एक शिकायत पत्र शिकायतकर्ता ने दिनांक 03,10,23 को एसएसपी अजय सिंह देहरादून को देकर कार्यवाही की मांग की जिसपर एसएसपी देहरादून ने जाॅच सीओ सिटी नीरज सेमवाल को देकर कहा गया जाॅच के दौरान पाया गया कि आरोप सही है सरकारी सम्पत्ति पर फर्जी तरीके से नगर निगम में एस्सेमेंन्ट चढवाकर जमीन बेची गई। सीओ सिटी ने जाॅच रिर्पोट बनाकर एसएसपी देहरादून को बनाकर दे दी गई मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसएसपी अजय सिंह ने पूरे प्रकरण की रिर्पोट एंव प्रभावी कार्यवाही के लिये एसएसपी देहरादून की और से जिलाअधिकारी देहरादून सोनिका को 20,01,2024 को पत्रचार के माध्यम से अवगत कराकर कार्यवाही के लिये प्रषित किया गया जिलाअधिकारी देहरादून ने प्रकरण की जाॅच कानूनगो सजंय सेनी को दे दी गई कुछ माह बाद कानूनगो देहरादून ने जाॅच रिर्पोट जिलाअधिकारी को दे दी मगर लगभग 6 माह बीत जाने के बाद भी भूमाफियाओं पर कोई कार्यवाही नही की गई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकारी सिस्टम को खोख्ला कहे या लेटलतीफी इसका जवाब न सरकार के पास है।
डालनवाला में भूमि का खेल
डालनवाला क्षेत्र मैं हाल ही मैं 75 करोड़ की भूमि का एक मामला गरमराया था जो अब शायद ठंडा पड़ता दिखाई दे रहा है। आपको जानकारी के लिए बता दे कि डालनवाला क्षेत्र मैं 14 ए सर्कुलर रोड पर शरद सिधवानी की करीब 11 बीघा जमीन व भवन था सिधवानी के अनुसार यह भूमि उन्होंने वर्ष 1956 में अपनी मां का नाम खरीदी थी जिसका रिकॉर्ड नगर निगम देहरादून में भी चला आ रहा है आरोप है कि 2000=2001मैं तत्कालीन तहसीलदार राशिद अली ने जिला मुरादाबाद की एक जरीना के नाम दर्ज कर दी मगर जिस जरीना के नाम दर्ज भूमि दर्ज हुई वो तो आज पाई पाई को मोहताज है उसके स्थान पर उसकी ही रिश्तेदार फर्जी जरीना ने कई पार्टियों से करोड़ो रुपए डकार लिए फर्जी जरीना के कई अहम सबूत मिले है जो जल्द पुलिस जांच मैं शामिल होंगे।
धोरण खास मैं भी अपराधिक किस्म के भूमाफियाओं ने बेची करोड़ों की गोल्डन फॉरेस्ट की भूमि
जानकारी के अनुसार मोजा धोरण मैं गोल्डन फोरेस्ट की लगभग 22 बीघा भूमि थी जो वर्तमान मैं सीलिंग में है जिसकी रजिस्ट्री एवम किसी भी प्रकार अनुबंध पत्र पर रोक के आदेश हुए हैं इसके बावजूद कोमिल कुमार एवम अपने साथियों भूमाफियाओं की शासन प्रशासन मैं खास पकड़ के चलते धड़ल्ले से लगभग 20 से अधिक रजिस्ट्रीया कर भूमाफियाओं ने करोड़ो रुपए की धोखाधड़ी कर आमजन को लूट लिया यही नही भूमाफियाओं ने करोड़ो रुपए ठगने के लिए एक नया पैंतरा इस्तेमाल किया विवादित भूमि मैं आईपीएस दिनेश बिष्ट के नाम दो रजिस्ट्री की गई रकबा लगभग 334 वर्ग मीटर ताकि छोटे मोटे सरकारी कर्मचारी को दहशत हो की भूमि एक आईपीएस की है तो कोई जांच ना हो वही दूसरी और आमजन को भी आसानी से शिकार किया जा सके की जब एक आईपीएस ने प्लॉट लिया है तो जमीन पाक साफ होगी आईपीएस दिनेश बिष्ट ने प्लॉट कैसे खरीदा या उन्हें भूमाफियाओं ने कैसे अपने जाल मैं फसाया पुलिस जांच हुई आरोप सही पाए गए पर नतीजा जीरो रहा बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, डीजीपी अभिनव कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, दिलीप जावलकर, शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय, एडीजी ए.पी. अंशुमन, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी, अपर सचिव जे.सी. कांडपाल उपस्थित थे।