उत्तराखंडदेहरादूनपर्यटन

मंशादेवी मंदिर रोपवे बंद होने से श्रृद्धालु व पर्यटक परेशान

नगर निगम को हो रहा प्रतिदिन दो लाख के राजस्व का नुकसान

हरिद्वार विकास प्राधिकरण, वन विभाग, राजाजी टाईगर रिजर्व की एनओसी से लटका है मामला
दुकानदारों के कारोबार पर भी पड़ रहा असर  

हरिद्वार। मंशादेवी मंदिर पर रोपवे बंद होने से जहां श्रृद्धालु व पर्यटक परेशान हो रहे हैं। जिसके कारण नगरनिगम को भी प्रतिदिन दो लाख रुपए के राजस्व का नुक़सान हो रहा है। इसकी वजह सो सरकार पर भी शीघ्र रोपवे संचालन का दबाव बना हुआ है।
मंशादेवी मंदिर पर रोपवे का संचालन वर्ष 1983 से हो रहा है। जिसका संचालन हरियाणा की ऊषा ब्रेको कम्पनी कर रही थी। ऊषा ब्रेको की लीज पूरी हो गई है, लेकिन नया टेंडर होने में बड़ा पेंच ये है कि रोपवे संचालन के लिए हरिद्वार विकास प्राधिकरण, वन विभाग, राजाजी टाईगर रिजर्व आदि विभिन्न विभागों की प्रक्रिया को पूरा करना है, जो कि जल्दी संभव नहीं है। इसलिए फिलहाल मंशादेवी रोपवे ठप्प पड़ा है। रोपवे बंद होने से जहां श्रृद्धालु व पर्यटक निराश और परेशान हो रहे हैं। वहीं शासन को करीब साठ लाख रुपए महीने के राजस्व से हाथ धोना पड़ रहा है। रोपवे बंद होने से रोपवे के आसपास कारोबार करने वाले करीब डेढ़ सौ दुकानदारों के कारोबार पर भी असर पड़ रहा है। रोपवे बंद होने से बाहर से आने वाले श्रद्धालु पर्यटकों में भी अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। जिसके बाद शासन-प्रशासन पर रोपवे जल्द शुरू करने का दबाव बढ़ रहा है।
मंशादेवी मंदिर पर रोपवे संचालन के लिए 1981 में कंपनी का तत्कालीन नगरपालिका से 30 वर्ष के लिए अनुबंध हुआ था। 2011 में आखिरी दस वर्ष के लिए कंपनी की लीज बढ़ाई गई थी। जबकि 2021 में शासन ने नयी व्यवस्था तक दो वर्ष के लिए ऊषा ब्रेको को कार्य विस्तार दिया था। इस दौरान शहरी विकास विभाग ने निगम को रोपवे के लिए नई कंपनी ढूंढने और प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिये थे। हालांकि इस दौरान कुछ कंपनियों ने रोपवे संचालन में रुचि जरूर दिखाई लेकिन रोपवे के लिए विभिन्न विभागों की जरुरी अनुमति प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। जिसके कारण अब ऊषाब्रेको की कार्य विस्तार अवधि पूरा होने पर रोपवे ठहर गया है।

मंशादेवी मंदिर रोपवे काफी पुराना हो चुका है। इसलिए इसका तकनीकी सर्वेक्षण भी जरूरी है। यात्रियों के हित में रोपवे के जल्द संचालन के लिए मंथन किया जा रहा है। रोपवे की नयी टेंडरिंग में अब प्रक्रिया पूरी करना बड़ा अवरोध है। पहले रोपवे की जिस बेस यूनिट भूमि का स्वामित्व नगरपालिका के पास था नजूल की उस भूमि का प्रबंधन 2015 से हविप्रा के पास है। वन विभाग की शेष भूमि अब राजाजी पार्क व नेशनल टाईगर रिजर्व के अधीन है। जिसके कारण नयी टेंडरिंग में कई अवरोध हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button