विधायकों को वेतन भत्ते के रूप में प्रतिमाह लगभग 2.90 लाख रुपए मिलते हैं
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में विधायकों के वेतन भत्तों की बढ़ोत्तरी से जुड़ा विधेयक पास किया गया। इस विधेयक के पास होने के बाद उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों को अब प्रतिमाह वेतन-भत्ते के रूप में लगभग चार लाख रुपए मिलेंगे। बढ़ती महंगाई को देखते हुए तदर्थ समिति ने विधायकों के वेतन-भत्तों के साथ ही उनके वैयक्तिक सहायक के वेतन में वृद्धि की संस्तुति की थी। अभी तक विधायकों को वेतन भत्ते के रूप में प्रतिमाह लगभग 2.90 लाख रुपए मिलते हैं। अब इस मामले में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की प्रतिक्रिया सामने आई है। गणेश गोदियाल ने बढ़े हुए वेतन भत्ते के साथ ही अन्य सुविधाएं लेने से इंकार कर दिया है।
कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर बढ़े भत्ते और अन्य सुविधाएं नहीं देने की मांग की है। गणेश गोदियाल ने कहा विधायकों, पूर्व विधायकों के वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं बढ़ाये जाने को लेकर नियामक आयोग बनाया जाये। गणेश गोदियाल ने कहा एक तरफ प्रदेश भर में अल्प वेतन भोगी भारी परेशानियों के साथ गुजारा कर रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन भत्तों में इजाफा कर रही है। इसलिए उन्होंने पूर्व विधायकों के बढ़ाये गए वेतन भत्तों का विरोध करते हुए यह सुविधा लेने से इनकार किया है।
गणेश गोदियाल ने कहा सार्वजनिक जीवन में काम कर रहे लोगों को अधिक संसाधनों की जरूरत है, लेकिन उसके लिए देश, काल और परिस्थिति देखनी चाहिए। राज्य में आपदा की विभाषिका है। विधायकों, पूर्व विधायकों का वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए एक नियामक आयोग बनना चाहिए। आजकल ये संदेश जाता है कि विधानसभा सदन के सदस्य अपनी मर्जी से अपनी पेंशन, वेतन व भत्ते बढ़ा देते हैं। मात्र तीन दिन के गैरसैंण सत्र का यही संदेश गया है। उन्होंने कहा पूर्व विधायक के नाते वे बढ़े भत्ते व अन्य सुविधाएं नहीं लेंगे। वे इस बारे में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख रहे हैं।
गिनाई पहाड़ की पीड़ा, सत्र पर उठाये सवाल
देहरादून। कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने कहा उत्तराखंड विधानसभा का सत्र गैरसैंण में संपन्न हो गया है। गैरसैंण में आहुत हुए 3 दिन के सत्र की विवेचना करना आवश्यक है। उन्होंने कहा भले ही सत्र कहीं पर भी आहुत हो लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक इस बात की शिकायत करते हैं कि उन्हें अपनी विधानसभा क्षेत्र की दिक्कतों को उठाने का मौका नहीं मिलता है। उन्होंने कहा धारचूला, मुनस्यारी, चमोली, रुद्रप्रयाग जैसी जगहों पर आपदाएं आई हुई हैं। आपदाओं के बाद की स्थितियों पर स्थानीय विधायक सदन में चर्चा करना चाह रहे थे, लेकिन उन विधायकों को अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया। गणेश गोदियाल ने कम से कम 15 दिनों तक सत्र चलाये जाने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा सरकार ने गैरसैंण में तीन दिन का सत्र आयोजित कराकर मात्र औपचारिकता निभाई है।
मानसून सत्र के बाद सूना पड़ा भराड़ीसैंण विधानसभा भवन
गैरसैंण। उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंण में सिक्के के दो पहलू देखने को नजर आते हैं। जहां एक तरफ विधानसभा क्षेत्र भराड़ीसैंण अपनी आलीशान इमारतों से नई इबारत लिख रहा है, तो वहीं दूसरा पहलू गैरसैंण और गैरसैंण के लोगों की उस स्याह हकीकत का है, जहां पिछले 24 सालों से केवल इंतजार और उम्मीद ही मिल पाया है।
21 से 23 अगस्त तक गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय मानसून सत्र आयोजित किया गया। बीते शुक्रवार को पूरी सरकार अपने दलबल के साथ भराड़ीसैंण के उस आलीशान विधानसभा भवन को एकांत और वीरान छोड़कर वापस देहरादून लौट आई है। ऐसे में जहां एक तरफ भराड़ीसैंण की आलीशान इमारतों की चमक है, तो वहीं दूसरी तरफ जिस मूल भावना के साथ गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का संकल्प लिया गया था, उस से बहुत दूर खड़े गैरसैंण और आसपास के वो स्थानीय लोग हैं, जिनकी आंखें पिछले 24 सालों से उनके कायापलट के केवल इंतजार में तरस गई हैं। गैरसैंण के भराड़ीसैंण में 47 एकड़ में फैला विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से बेहद खूबसूरत है। साल भर यहां मौसम बेहद ठंडा और खुशगवार बना रहता है। समुद्र तल से 5,410 फीट की ऊंचाई पर मौजूद उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी का विधानसभा भवन बेहद आलीशान और भव्य बनाया गया है। विधानसभा भवन में सदन के अलावा विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, सतपाल महाराज के कार्यालय भी बनाए गए हैं। इसके अलावा विधानसभा भवन परिसर में सभी मंत्रियों और विधायकों के आवास भी बनाए गए हैं।