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100 करोड़ की जीएसटी चोरी की जांच कर रही पुलिस से जागा जीएसटी विभाग

जीएसटी जालसाजों पर लगेगी गैंगस्टर

देहरादून। फर्जी फर्मों को खोलकर आईटीसी का लाभ लेकर करोड़ो के वारे न्यारे करने वालो पर पुलिस एवम जीएसटी विभाग जीएसटी जलसाजो पर नकेल कसने को तैयार हो चुकी है। सहारनपुर निवासी मोहम्मद अकरम ने विगत कुछ दिनों पहले एसएसपी देहरादून को प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि देहरादून में एक नटवरलाल द्वारा लगभग 27 फर्म अपने वह अपने परिवार वालों के नाम खोलकर उसमें करोड़ों रुपए का लेनदेन किया है जिसमें भारत सरकार एवं राज्य सरकार को करोड़ो रुपए का चूना लगाया गया एसएसपी देहरादून ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच को सीओ सिटी नीरज सेमवाल को सौंप दी गई एवं जीएसटी विभाग को इस जांच की भनक लगी तो जीएसटी विभाग ने भी अपने स्तर से ऐसे जालसाजों पर नजर रखनी शुरू की तो कई ऐसे मामले जीएसटी विभाग को मिले आज जीएसटी विभाग की टीम ने फर्जी बिलों से करोड़ों का भुगतान प्राप्त करने वाली फर्म के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान फर्म का कोई दफ्तर तो नहीं मिला। लेकिन फर्म संचालक के घर पर जीएसटी की टीम ने छापा मारते हुए लाखों की गफबड़ी पकड़ी। इस दौरान करीब 30 लाख का टैक्स जमा कराया किया। जबकि लाखों रुपये अब ब्याज समेत वसूले जाने बाकी है। आयकर की इस कार्रवाई से फर्जी तरीके से चल रही फर्म संचालकों में हड़कंप मचा है।उत्तराखण्ड में जीएसटी चोरी में लिप्त फर्म पर एसजीएसटी ने बड़ी कार्रवाई की है। टीम ने छापा मार कर लाखों रुपये टैक्स चोरी करने वाली एक फर्जी फर्म के खिलाफ कार्रवाई की है। विभाग को यह सूचना प्राप्त हो रही थी कि सरकारी विभागों से टेण्डर प्राप्त करने वाली कई फर्मे जी०एस०टी० चोरी के लिए फर्जी बिलों का प्रयोग कर रही हैं, जिसके क्रम में आयुक्त राज्य कर, उत्तराखण्ड द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में आज राज्य कर विभाग द्वारा प्रचार सामग्री की सप्लाई करने वाली दून यूनिवर्सिटी रोड़, देहरादून स्थित एक फर्म के स्वामी के घोषित व्यापार स्थल एवं घर की सहायक आयुक्त मनमोहन असवाल एवं टीका राम चन्याल की टीम ने जांच कीजांच पर यह पाया गया कि फर्म ने सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग, उत्तराखण्ड से लगभग ₹ 18 करोड़ का भुगतान प्राप्त किया है तथा उसके द्वारा जीएसटी चोरी के उद्देश्य से दिल्ली की कुछ फर्मों से बोगस इन्वाईस प्राप्त किये गये हैं। इन फर्मों के पास बेचे गये माल की न तो खरीद थी और न ही माल के परिवहन का कोई प्रमाण था।गोपनीय जांच एवं डाटा एनालिसिस पर यह भी पाया गया कि ये बोगस फर्मे टायर की खरीद अस्तित्वहीन फर्मों से दिखा रही थी और आगे देहरादून की फर्म को पेण्टिंग, फ्लैक्स की बिक्री दिखा रही थी। प्रथम दृष्ट्या लगभग 1.65 करोड़ की टैक्स चोरी का मामला प्रकाश में आया है।

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