यह मुख्यमंत्री आवास है या मारपीट, गुंडई का कोई अड्डा..! कुछ अंतराल पहले, मुख्यमंत्री आवास में ही, तत्कालीन मुख्य सचिव के साथ हाथापाई की गई थी। खबरें तो मारपीट की भी आई थीं। मामला अदालत तक पहुंचा। अंततरू क्या हुआ, कोई जानकारी नहीं। समय गुजरा, तो उस घटना पर धूल की परतें जम गईं। आखिर आम आदमी पार्टी (आप) के भीतर और मुख्यमंत्री केजरीवाल के जीवन में क्या घट रहा है कि हालात सुलगते महसूस होते हैं। कोई विधायक अपनी पत्नी पर ही कुत्ता छोड़ देता है! कोई मंत्री राशन कार्ड बनवाने आई महिला के साथ बलात्कार करता है! शराब घोटाले में तो खुद केजरीवाल संलिप्त बताए गए हैं। ‘आप’ एक बड़े खोल में बेहद विस्फोटक पार्टी लगती है। ताजातरीन मामला पार्टी की ही राज्यसभा सांसद तथा 9 साल तक दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं स्वाति मालीवाल का है, जिनकी मुख्यमंत्री आवास में ही, पिटाई की गई। जाहिर है कि एक महिला के साथ बदसलूकी की गई, हिंसक व्यवहार भी किया गया, लिहाजा यह आपराधिक हरकत से कम नहीं है। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 4 घंटे से अधिक समय तक संवाद करने के दौरान स्वाति मालीवाल ने खुलासा किया है कि मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ ने उन्हें 5-6 थप्पड़ मारे। शरीर के निचले हिस्से पर लात मारी, छाती और पेट पर मुक्के मारे गए। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल उस दौरान घर के भीतर ही मौजूद थे। यदि मुख्यमंत्री आवास में महिला सांसद पर ऐसा हिंसक आक्रमण किया गया है, तो वह सिर्फ निजी सहायक की औकात नहीं हो सकती। क्या स्वाति पर हमला जानबूझ कर कराया गया? क्या मुख्यमंत्री अपने ही सांसद से मुलाकात नहीं करना चाहते थे? क्या केजरीवाल चाहते हैं कि स्वाति सांसदी छोड़ दें, ताकि अभिषेक मनु सिंघवी को सांसदी देकर ‘उपकृत’ किया जा सके?
यदि मुद्दा यही है, तो स्वाति पर हिंसक व्यवहार करने की जरूरत क्या थी? सबसे महत्वपूर्ण और मानवीय पक्ष यह है कि जिस महिला साथी की मुख्यमंत्री के घर के भीतर तक पहुंच रही है, एनजीओ ‘परिवर्तन’ के दौर से साथ-साथ काम करते रहे हों और जनवरी, 2024 में ही जिसे राज्यसभा सांसद चुना गया हो, ऐसे साथी पर ऐसा हिंसक आक्रमण करना वाकई हैरान करता है, चौंकाता भी है। स्वाति मालीवाल के बयानों और अढाई पन्नों की लिखित शिकायत के आधार पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। धाराओं 354, 506, 509 और 323 के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने स्वाति का एम्स दिल्ली में मेडिकल भी कराया है। उधर राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मुख्यमंत्री के निजी सहायक विभव कुमार को तलब किया है। खुद ‘आप’ के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी इसे विभव कुमार की ‘बदसलूकी’ करार दिया है। क्या पुलिस विभव को गिरफ्तार करेगी? सवाल यह है कि मुख्यमंत्री आवास में ही ऐसी हिंसक गुंडई क्यों की गई? ऐसी नौबत ही क्यों आई? दरअसल स्वाति मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने उनके सरकारी आवास गई थीं। जेल से बाहर आने के बाद वह मिल नहीं सकी थी। मुख्यमंत्री आवास के गेट पर सुरक्षा व्यवस्था ने उन्हें रोका था, क्योंकि मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात का अधिकृत समय तय नहीं था। फिर भी स्वाति घर के अंदर चली गई और ड्राइंग रूम में जाकर बैठ गई। यह सोमवार 13 मई की बात है। उसके 81 घंटों तक स्वाति खामोश रही। ‘112’ नंबर पर फोन करके उन्होंने हिंसक हमले की जानकारी पुलिस को दी थी, लेकिन उसके बाद सभी पक्ष सोचते ही रहे।
मुख्यमंत्री केजरीवाल लखनऊ गए, तो विभव को साथ ले गए। वहां पत्रकारों ने बार-बार सवाल पूछे, तो वह माइक को अखिलेश यादव या संजय सिंह की ओर सरकाते रहे। एक शब्द तक नहीं बोले। पुलिस को शिकायतनामा देने के बाद स्वाति ने ‘एक्स’ पर लिखा है-मेरे साथ जो हुआ है, वह बहुत बुरा था। मैंने बयान दर्ज करा दिया है। आशा है कि उचित कार्रवाई होगी। भाजपा से भी गुजारिश है कि वह इस मुद्दे पर राजनीति न करे।’’ बहरहाल यह कांड भी केजरीवाल पर भारी पड़ सकता है। अभी वह एक जून तक ही जमानत पर हैं। उसके बाद फिर जेल जाना ही पड़ेगा। यह आम चुनाव का दौर है। उसके दौरान ऐसे हिंसक कांडों से बचा जाना चाहिए था।