देहरादून। राज्य के इनामी अपराधियों के विरुद्ध चलाए जा रहे ऑपरेशन प्रहार के तहत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल की ओर से उत्तराखंड में गैंगस्टर एवं इनामी अपराधियों के विरुद्ध ठोस रणनीती बनाकर अपनी टीमों के द्वारा लगातार कार्यवाही कराई जा रही है।
इसी क्रम में सोमवार की सुबह सीओ एसटीएफ सुमित पांडे की ओर से गठित टीम ने 25 हजार रूपए के ईनामी गैंगस्टर दीपक सिसौदिया को भारत-नेपाल बॉर्डर में बनबसा से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अपराधी वर्ष 2011 में मुंबई में हुए पत्रकार जेडे की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहा था और पिछले वर्ष जनवरी माह में मुंबई की अमरावती सेंट्रल जेल से पैरोल पर छूटकर हल्द्वानी आया था जिसे मार्च में वापस जेल में जाना था लेकिन अपराधी दीपक सिसौदिया पैरोल से फरार हो गया जिस पर मुंबई पुलिस द्वारा उसके विरुद्ध थाना हल्द्वानी में एक मुकदमा दर्ज करवाया था तथा एसएसपी नैनीताल ने उस पर 25 हजार रूपए का ईनाम घोषित किया था।
छोटा राजन गैंग से ताल्लुख रखने वाला इस ईनामी अपराधी दीपक सिसोदिया की गिरफ्तारी के लिए उत्तराखंड पिछले एक साल से प्रयास कर रही थी लेकिन दीपक सिसोदिया के नेपाल में छिपे होने के कारण उसकी गिरफ्तारी संभव नही हो पा रही थी। एसटीएफ को ऐसी गोपनीय सूचनाएं मिल रही थी कि दीपक चोरी-छिपे हल्द्वानी आता है जिस पर टीम काम कर रही थी। कल देर रात्रि टीम को सूचना मिली कि दीपक सुबह- सुबह आने वाला है। इस पर टीम को बनबसा क्षेत्र में लगाया गया था सटीक मुखबिरी के अनुसार दीपक कार फोर्ड फियेस्टा से नेपाल से बनबसा पहुंचा जिसे टीम ने बनबसा रेलवे स्टेशन के पास से धर दबोचा। उसे बनबसा से लाकर हल्द्वानी थाने में दाखिल कराया गया है। जहां से उसे बाद में मुंबई भेजा जाएगा। एसटीएफ की इस कार्यवाही में महेन्द्र गिरी, किशोर कुमार व मोहित वर्मा की विशेष भूमिका रही।
जून 2011 में मुंबई में दिया था वारदात को अंजाम
एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल के मुताबिक दीपक सिसोदिया को मुंबई की कोर्ट ने महाराष्ट्र के मशहूर खोजी पत्रकार जेडे की हत्या शामिल होने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दीपक सिसोदिया हल्द्वानी का रहने वाला है और यह जून 2011 में मुंबई में हुए अंग्रेजी सांध्य दैनिक अखबार मिड डे के वरिष्ठ पत्रकार जेडे की हत्या में शामिल होने का दोषी पाया गया था। इसने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन गैंग के शूटरों साथ शामिल होकर इस हत्याकांड को अंजाम दिलाया था, जिसमे यह अपराधी उम्रकैद की सजा काट रहा था। पिछले वर्ष में पैरोल में आने के बाद वापस न जाकर नेपाल भाग गया था। तब से एसटीएफ इस अपराधी के बारे में अपनी जानकारी एकत्रित कर रही थी।