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उत्तराखंड में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम

फूल और जगमग रोशनी से सजे मंदिर

मंदिरों में लगा रहा भक्तों का लगा तांता
देहरादून। देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम चल रही है। विकासनगर के मंदिरों में भी विशेष आयोजन किया जा रहा है। आज पूरे देश भर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। विकासनगर के सभी मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है। मंदिर समिति ने इस विशेष दिन को और सुंदर बनाने के लिए विशेष इंतेजामात किए हैं।
पछवादून क्षेत्र के विकासनगर में सनातन धर्म मंदिर, गीता भवन मंदिर, प्राचीन शिव मंदिर, मंदिर लाइन जीवनगढ़ सहित सेलाकुई के खाटू श्याम धाम मंदिर में भी सभी मंदिरों को भव्य आयोजन के लिए फूल माला और बिजली की जगमग रोशनी से सजाया गया है। भक्तों द्वारा आज के दिन व्रत रखकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाते हुए रात के समय अपना व्रत खोल जाता है। श्री कृष्ण जन्म के उपलक्ष में मनाए जाने वाले इस पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु खाटूश्याम मंदिर सेलाकुई और पछवादून क्षेत्र के मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने भी सुरक्षा के खड़े इंतजाम किए हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस द्वारा चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है।
खाटू श्याम मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि लोगों में पर्व को लेकर काफी बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है। यहां पर लोग खाटू श्याम मंदिर में बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंच रहे हैं।

मसूरी श्रीराधा कृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी की धूम
मसूरी। पहाड़ों की रानी मसूरी में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मसूरी में सभी मंदिरों को सजाया गया है। वह मसूरी के ऐतिहासिक श्रीराधा कृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी के पूर्व को लेकर विशेष तैयारी की गई है। सुबह के समय मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की गई और देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण की विशेष आरती की जाएगी, जिसके बाद प्रसाद और चंद्रामृत भक्तों को वितरित किए जाएगा।

श्रीकृष्ण के माथे पर सजता रहा है हरिद्वार का मोर पंख
हरिद्वार। देशभर में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जैसे जयकारों के साथ भगवान कृष्ण की लीलाओं को सेलिब्रेट किया जा रहा है। माना जाता है जितनी लीलाएं भगवान कृष्ण की हैं शायद ही उतनी लीलाएं किसी देवी देवता ने की होंगी। आमतौर पर भगवान कृष्ण का संबंध मथुरा, वृंदावन और गोकुल से बताया जाता है, मगर आज हम आपको श्रीकृष्ण के उत्तराखंड कनेक्शन के बारे में बताने जा रहे हैं। ये कनेक्शन ऐसा है जिसके बिना कृष्ण अधूरे हैं।
भगवान श्रीकृष्ण का उत्तराखंड से जीवन का नाता है। अगर यह कहें कि भगवान के प्राण बचाने में उत्तराखंड के पर्वतों की बहुत बड़ी भूमिका रही है तो गलत नहीं होगा। भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था, कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का जब जन्म हुआ तब वर्ष लग्न में रोहिणी नक्षत्र था। तब सूर्य सिंह राशि में था। भगवान कृष्ण ने जब जन्म लिया उस वक्त ठीक रात के 12 बज रहे थे। गौशाला में पैदा हुए भगवान कृष्ण ने कंस की वजह से कई पीड़ाएं झेली। उनके माता-पिता ने भी बमुश्किल दिन काटे। ये सब कुछ श्रीकृष्ण के जन्म से ही शुरू हो गया था। भगवान कृष्ण के जन्म के बाद जब उनके गृह नक्षत्र और कुंडली को दिखाने के लिए ऋषि कात्यायन को बुलाया गया। उन्होंने भगवान कृष्ण की कुंडली में ऐसा दोष बता दिया जिसका निवारण सिर्फ हिमालय के पर्वतों से हो सकता था। हरिद्वार के जाने-माने धर्माचार्य प्रतीक मिश्रा पुरी कहते ऋषि कात्यायन ने हरिद्वार का क्षेत्र इसलिए बताया क्योंकि इस पर्वत पर मां मनसा देवी का मंदिर है। मां मनसा देवी नाग पुत्री कही जाती हैं। प्रतीक मिश्र पुरी कहते हैं कालिका पुराण, भविष्य पुराण और अग्नि पुराण में भी इस बात का जिक्र है। इस पर्वत से एक स्रोत बहता है। जिसका नाम नारायणी स्रोत है। इसका अंतिम छोर नाई सोता है। इस श्रोत के आसपास से ही मोर पंख लाना होगा। इस बात को भगवान कृष्ण के माता-पिता ने बेहद गंभीरता से लिया। जब तक भगवान कृष्ण धरती पर रहे तब तक उनके लिए मोर पंख इसी पर्वत से जाता था।

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