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निधि के एक हत्यारे को सजाए मौत, दूसरे को उम्रकैद की सजा

निधि के एक हत्यारे को सजाए मौत, दूसरे को उम्रकैद की सजा

हैदर व उसके साथी ने गला काटकर दिया था कृत्य को अंजाम

देहरादून। उत्तराखंड के रुड़की में वर्ष 2021 में हुई 19 वर्षीय दलित युवती निधि की जघन्य हत्या के मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। रुड़की की विशेष अदालत ने मुख्य आरोपी 25 वर्षीय हैदर अली को मौत की सजा सुनाई है। जबकि उसके एक साथी शारिक को उम्रकैद की सजा दी गई है। मामले में शामिल एक नाबालिग आरोपी रेहान का मुकदमा किशोर न्यायालय में चल रहा है।

यह दिल दहला देने वाली घटना 24 अप्रैल 2021 की है। निधि, जिसे उसके घर में लोग ‘हांसी’ के नाम से भी जानते थे, उस दिन घर में अकेली थी। वह दलित समुदाय से थी और 12वीं कक्षा पास कर चुकी थी। अपने पिता की मृत्यु के बाद उसने अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाली थी। दो भाइयों की इकलौती बहन निधि घर पर ही एक छोटी सी किराने की दुकान चलाकर अपनी मां जो दिहाड़ी मजदूरी करती थीं का सहारा बनी हुई थी। मोहल्ले में रहने वाला हैदर अली निधि को लगातार फोन कर परेशान करता था। वह उसे अकेले में मिलने के लिए बुलाता था। जब निधि ने उसकी बात मानने से इंकार कर दिया, तो हैदर ने अपनी नापाक मंशा को अंजाम देने की साजिश रची। उसने अपने दो साथियों शारिक और रेहान (नाबालिग) के साथ मिलकर 24 अप्रैल को निधि के घर में जबरन घुसकर हमला कर दिया।

तीनों ने मिलकर निधि पर हमला किया। हैदर ने चाकू से उसका गला रेत दिया। निधि की चीखें सुनकर मोहल्ले के लोग दौड़े और मौके पर पहुंचे। उन्होंने हैदर को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया, जबकि शारिक और रेहान भाग निकले। हालांकि बाद में पुलिस ने शारिक को गिरफ्तार कर लिया। रेहान नाबालिग है, इसलिए उसका मामला किशोर अदालत में चल रहा है। अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में ही निधि की मौत हो गई थी। तीन साल तक चले इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोषियों को कड़ी सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि यह हत्या न सिर्फ जघन्य है, बल्कि एक महिला की गरिमा और सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों पर हमला है। ऐसे अपराधों में सख्त सजा समाज में डर पैदा करने के लिए आवश्यक है। इसलिए हैदर अली को मृत्युदंड और शारिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

परिवार ने कहा ‘हमें न्याय मिला’

देहरादून। निधि के भाई दिनेश सिंह, जो एक कैब चालक हैं, ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम बहुत गरीब लोग हैं, लेकिन इस फैसले ने हमें महसूस कराया कि न्याय सबके लिए बराबर है। हम अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं और अपने वकील संजीव वर्मा के बेहद आभारी हैं जिन्होंने हमसे एक भी रुपया नहीं लिया।”

 

वकील संजीव वर्मा ने निभाया फ़र्ज़

देहरादून। परिवार की आर्थिक हालत देखते हुए वकील संजीव वर्मा ने यह केस निरूशुल्क लड़ा। तीसरा आरोपी रेहान, जो उस समय नाबालिग था, फिलहाल किशोर न्यायालय में मुकदमे का सामना कर रहा है। उसके खिलाफ भी सबूतों के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया चल रही है।

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