उत्तराखंडनैनीतालसामाजिक

नैनीताल जेल में क्षमता से ज्यादा कैदी

हाईकोर्ट ने कैदियों को सितारगंज कारागर में शिफ्ट करने का दिया आदेश

नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जेल के जर्जर भवन और अव्यवस्था मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नैनीताल जेल से कैदियों को जल्द सितारगंज जेल में शिफ्ट करने को कहा। साथ में कोर्ट ने जेल प्रशासन को सरकार से अनुमति लेकर सितारगंज जेल में सजा काट चुके कैदियों को रिहा करने के निर्देश भी दिए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।
दरअसल, पिछली बार सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि श्नैनीताल जेल को शिफ्ट किया जाए या इसका सुधारीकरण किया जाए?श्। ये सवाल कोर्ट ने नैनीताल जेल में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर पूछे थे। साथ ही इस मामले में अधिवक्ता श्रुति जोशी को बतौर न्यायमित्र नियुक्त किया था। इसी कड़ी में आज न्यायमित्र अधिवक्ता श्रुति जोशी ने कोर्ट को अवगत कराया कि नैनीताल जेल के 40 कैदी एड्स के मरीज हैं। इन कैदियों के लिए अलग से रहने की व्यवस्था की जाए। वहीं, आज सुनवाई के दौरान आईजी जेल विमला गुंज्याल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुईं। कैदियों के बीमार पड़ने की स्थिति में उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचाना मुश्कि हो जाता है। निरीक्षण में ये भी पाया गया था कि नैनीताल जेल का भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी काफी संवेदनशील है, जो किसी भी वक्त भूस्खलन की जद में आ सकता है। जिसका नैनीताल हाईकोर्ट स्वतरू संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।

नैनीताल जेल में 71 कैदी रखने की क्षमता, वर्तमान में 164 कैदी रखे गए
नैनीताल। विमला गुंज्याल ने कोर्ट को बताया कि नैनीताल जेल में 7 बैरक हैं, जिसकी क्षमता 71 कैदी रखने की है। जबकि, वर्तमान में यहां 164 कैदियों को रखा गया है। जगह की कमी के कारण जेल का विस्तारीकरण नहीं हो पा रहा है। जेल के विस्तारीकरण करने के लिए उन्हें 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। यह भूमि रामनगर में है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सितारगंज में बड़ी जेल है, जो 500 एकड़ भूमि पर बनी हुई है। इस जेल में कई सुविधाएं उपलब्ध है। इसलिए इन कैदियों को वहां शिफ्ट किया जाए। गौर हो कि इससे पहले राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल जेल के निरीक्षण के दौरान पाया था कि जेल का भवन साल 1906 में बना है, जिसका भवन काफी पुराना और जर्जर हो चुका है, जो जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। इतना ही नहीं जेल में क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा गया है। जेल में बंद कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। जबकि, जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button