शव की शिनाख्त परिजनों से की
नैनीताल। पिछले 15 दिन से लापता रेंजर हरीश चंद्र पांडे अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनका शव भीमताल की झील से बरामद हुआ है। रेंजर हरीश चंद्र पांडे की आखिरी लोकेशन भी टैक्सी से उतरते समय भीमताल की ही मिली थी। हरीश चंद्र पांडे की मौत से उनके परिवार में मातम का माहौल है। मृतक रेंजर के परिजनों के विभाग के अधिकारियों पर उन्हे लगातार परेशान किए जाने का आरोप लगाया था। काठगोदाम के ऊंचापुल निवासी 55 वर्षीय केन्द्रीय तराई वन विभाग में तैनात रेंजर हरीश चंद्र पांडे 29 नवबंर को लापता हो गए थे। उनके गुमशुदा होने का मामला पुलिस में दर्ज कराया गया था। उनके परिजन अपने स्तर से भी उनकी खोजबीन में लगे थे। किन्तु उन्हे सफलता हासिल नही हो रही थी। भीमताल के थाना प्रभारी विरेन्द्र बिष्ट को बुधवार को स्थानीय लोगों ने भीमताल झील में एक व्यक्ति के शव को देखे जाने की सूचना दी थी। जिसके बाद मौके पर पहंुचकर उन्होंने शव को अपने कब्जे में लिया। शिनाख्त करने पर मृतक की पहचान रेंजर हरीश चंद्र पाण्डे के रूप में हुई। पुलिस ने मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
29 नवंबर से लापता हैं रेंजर हरीश चंद्र पांडे
नैनीताल। ऊंचापुल निवासी 55 वर्षीय तराई केंद्रीय वन विभाग में तैनात रेंजर हरीश चंद्र पांडे 29 नवंबर की शाम लापता हो गए थे। काफी ढूंढने के बाद भी उनका कुछ भी पता नहीं चल पाया है। परिजन उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से भी खोजने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अभी तक उनका पता नहीं चल सका है। हरीश चंद्र पांडे के लापता होने की मुखानी थाने में गुमशुदगी दर्ज है।
अल्मोड़ा के रहने वाले हैं हरीश चंद्र पांडे
नैनीताल। हरीश चंद्र पांडे मूल रूप से अल्मोड़ा जनपद के पांडेखोला गांव के रहने वाले हैं। 1992 में उनका चयन फॉरेस्टर के पद पर हुआ। पिछले कई सालों तक अल्मोड़ा, बिनसर जैती, लमगड़ा के अलावा हल्द्वानी के छकाता में रेंजर पद पर तैनात रहे। 2014 में प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी अल्मोड़ा के रूप में तैनात रहे। जहां 2014 में अल्मोड़ा से उनका ट्रांसफर हल्द्वानी हो गया। हल्द्वानी में 2014 से मकान बनाकर परिवार के साथ रह रहे हैं। 2 साल से तराई केंद्रीय वन प्रभाग में वन क्षेत्राधिकारी के पद पर तैनात हैं।