क्राइमदिल्ली

गिरफ्तारी के मायने

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शराब घोटाले की नियति शायद यही थी। केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के 9 समन्स को लगातार ‘अवैध’ करार देते रहे और कभी पेश नहीं हुए। यह करके केजरीवाल ने संविधान और कानून को भी ठेंगा दिखाया। दिल्ली उच्च न्यायालय के जरिए उन्होंने 2 माह का संरक्षण मांगा, ताकि वह आम चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए प्रचार कर सकें। इस अवधि के दौरान उन्हें गिरफ्तार न किया जाए, लेकिन ईडी की पटकथा में ‘क्लाईमेक्स’ तब आया, जब न्यायाधीशों ने चैंबर में शराब घोटाले और ईडी की जांच से जुड़े दस्तावेजों को देखा। नतीजतन अदालत ने केजरीवाल को संरक्षण देने से इंकार कर दिया। पटकथा अंतिम अध्याय की ओर बढने लगी। ईडी गुरुवार शाम को ही मुख्यमंत्री आवास जा धमकी। शुरुआत में कहा गया कि टीम 10वां समन देने आई है। कुछ तलाशी की दलीलें भी दी गईं। ईडी की टीम कानूनन दस्तावेज तैयार कर आई थी। अंततरू 2 घंटे से अधिक समय तक आधा दर्जन अधिकारियों ने केजरीवाल से पूछताछ की, फिर वही हुआ, जो ऐसे मामलों में होता रहा है। केजरीवाल देश के प्रथम पदासीन मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। अब केजरीवाल को धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत ईडी की गिरफ्तारी में रहकर उन सवालों को झेलना पड़ेगा, जिन्हें वह और ‘आप’ के प्रवक्ता हंसी और हवा में उड़ाते रहे थे।
अक्सर उनके तर्क रहते थे कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ केजरीवाल से ही डरते हैं, लिहाजा उन्हें जेल में डालना चाहते हैं। ऐसे तर्क सियासत की भाषा तक ही सीमित हैं, अलबत्ता मोदी 10 साल से देश के प्रधानमंत्री हैं और किसी से डर कर या खौफ खाकर उन्होंने ये जनादेश प्राप्त नहीं किए। अब वह तीसरे कार्यकाल के लिए जनादेश हासिल करने की होड़ में जुटे हैं। चूंकि धनशोधन का कानून बेहद कड़ा और पेचीदा है, लिहाजा दिल्ली सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया 13 महीने और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन 23 महीने से जेल की सलाखों में कैद हैं। ‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी बीते अक्तूबर माह से जेल में हैं। उनकी जमानत की याचिकाएं सर्वोच्च अदालत के स्तर पर खारिज की जा चुकी हैं। आम आदमी का ‘खास’ और शीर्ष नेतृत्व जेल में बंद हो चुके हैं। ‘आप’ के लिए पहला राजनीतिक और अस्तित्व संबंधी संकट यही है। ‘आप’ के 14 और नेता जेल जा चुके हैं और जमानत पर बाहर हैं। ईडी ने बीते दिनों तेलंगाना की ‘भारत राष्ट्र समिति’ पार्टी की नेता के. कविता की गिरफ्तारी के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया था कि कविता के जरिए 100 करोड़ रुपए आम आदमी पार्टी को दिए गए। केजरीवाल ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक हैं, लिहाजा वह प्रत्यक्ष तौर पर जवाबदेह हैं। यदि केजरीवाल खुद को बिल्कुल मासूम और निर्लिप्त मानते हैं, तो उन्हें यह साबित करना होगा।
ईडी का यह भी दावा है कि 100 करोड़ रुपए की घूस और शराब नीति से 2873 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। शराब माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए 136 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ की गई। उसके एवज में 100 करोड़ रुपए की घूस दी गई। संभव है कि अब ईडी केजरीवाल और कविता को आमने-सामने बिठा कर सवाल-जवाब करेगा, तो कई सत्य बेपर्दा हो सकते हैं। बेशक केजरीवाल जेल में रहकर भी सरकार चला सकते हैं। संविधान और कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो जेल जाने पर उन्हें पद से इस्तीफा देने को बाध्य करे, लेकिन कुछ व्यावहारिक अड़चनें आएंगी। इस संदर्भ में उपराज्यपाल की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। यदि सर्वोच्च अदालत के स्पष्ट आदेश के बाद भी केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उपराज्यपाल राष्ट्रपति को एक प्रस्ताव भेजकर केंद्रीय शासन की अनुशंसा कर सकते हैं। संकट ‘आप’ पर गहराता जा रहा है।

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