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नैनीताल की ऐतिहासिक माल रोड पर मंडराया रहा खतरा

सड़क पर हुआ गड्ढा, 10 मीटर लंबी दरार भी पड़ी

सड़क के नीचे भूजल रिसाव बन रहा कारण
नैनीताल। सरोवर नगरी की माल रोड पर खतरा तेजी से बढ़ रहा है। माल रोड पर भू धंसाव के चलते अब गड्ढे और दरार पड़ने लगी है। एक बार फिर माल रोड में दरार और गड्ढा हो गया। इससे माल रोड के अस्तित्व पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। लगातार माल रोड में पड़ रही दरार और गड्ढों से नैनीताल की ऐतिहासिक माल रोड पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
बताते चलें कि लोअर माल रोड का 25 मीटर हिस्सा 18 अक्टूबर 2018 को भूस्खलन के चलते क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद से लगातार मॉल रोड के विभिन्न हिस्सों में दरारें पड़ रही हैं। छह साल बीत जाने के बावजूद भी अब तक सड़क का स्थाई ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं हो सका है। जिससे सड़क की बुनियाद लगातार कमजोर हो रही है और माल रोड से लगी पहाड़ियों में भी खतरा मंडरा रहा है। आने वाले समय में अब पर्यटन सीजन नजदीक है। ऐसे में माल रोड में हो रहे गड्ढे और दरारों से लोक निर्माण विभाग की चिंता बढ़ने लगी है।
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता रत्नेश सक्सेना का कहना है कि सड़क के स्थाई उपचार की जिम्मेदारी टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) को दी है। पूर्व में टीएचडीसी की टीम ने माल रोड का सर्वे और अध्ययन किया था। टीएचडीसी ने माल रोड क्षतिग्रस्त क्षेत्र के 250 मीटर क्षेत्र में टोपोग्राफिकल सर्वे और जियोलॉजिकल मैपिंग की। जिसमें पता चला था जिस स्थान पर सड़क में धंसाव हो रहा है, उसके ठीक नीचे भारी भूजल का रिसाव हो रहा है। इससे मिट्टी को जोड़ कर रखने वाले फाइनर पार्टिकल कण पानी के साथ घुल कर झील में समा रहे हैं। जिसके चलते माल रोड क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।
माल रोड के अध्ययन के बाद टीएचडीसी ने रोड के स्थाई उपचार के लिए तीन करोड़ पचास लाख रुपए की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की। जिस पर शासन ने संस्तुति देते हुए सड़क के स्थाई उपचार के लिए बजट जारी कर दिया है। जल्द ही सड़क निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

आईआईटी की टीम का ट्रीटमेंट भी हो गया था फेल
नैनीताल आईआईटी रुड़की की टीम के सुझाव पर माल रोड पर ट्रीटमेंट का काम किया गया। 82 लाख के बजट से झील में बेस बनाकर मशीन लगाकर ड्रिलिंग कर और पाइप डालकर सड़क का अस्थाई ट्रीटमेंट किया। लेकिन यह ट्रीटमेंट की योजना फेल हो गई। झील में ड्रिलिंग के दौरान पाइप बेस पर नहीं टिक पाए थे, जिसके बाद ट्रीटमेंट का काम टीएचडीसी को सौंपा गया है।

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