देहरादून। चीन में बच्चों को हो रही खास बीमारी के कारण कई देशों की सरकार ने विशेष एडवाइजरी जारी करते हुए अलर्ट जारी किया है। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस पर विशेष निगरानी शुरू कर दी है। उत्तराखंड में इन दिनों वायरल निमोनिया के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि बदलते मौसम के बीच उत्तराखंड में निमोनिया से जुड़े चीन के इस वायरस का असर नहीं दिखाई दे रहा है। बावजूद इसके उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने अधिकारियों को अलर्ट जारी कर दिया है। चिकित्सकों की तरफ से भी अभिभावकों को खास एडवाइजरी जारी की जा रही है।
चीन में माइकोप्लाज्मा निमोनिया का संकट बच्चों पर गहराता हुआ दिखाई दे रहा है। ये बीमारी चीन के लिए राष्ट्रव्यापी संकट के रूप में सामने आ रही है। इन स्थितियों के बीच भारत भी माइकोप्लाज्मा निमोनिया के लिए विशेष निगरानी रख रहा है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने निगरानी के रूप में इसके लिए विशेष एहतियात बरतने के भी दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। हालांकि, भारत में अभी इस तरह के निमोनिया का बच्चों में कोई असर नहीं दिखाई दिया है। लेकिन उत्तराखंड में वायरल निमोनिया इस समय प्रदेश के लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है।
दून मेडिकल कॉलेज में मौजूद वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ अशोक कुमार बताते हैं कि मौसम में आ रहे बदलाव के कारण बच्चों में इस तरह की शिकायतें देखी जा रही है। निमोनिया से पीड़ित काफी ज्यादा संख्या में बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं। संकट केवल वायरल निमोनिया का ही नहीं है। बल्कि जीका वायरस से भी स्वास्थ विभाग खासा चिन्तित दिखाई दे रहा है।
राजधानी में 40 से 25 बच्चे निमोनिया से ग्रसित
देहरादून। राजधानी देहरादून में ही बाल चिकित्सकों के पास आने वाले बच्चों में 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे निमोनिया की शिकायत से पीड़ित दिखाई दे रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि देहरादून के दून अस्पताल में ही हर दिन करीब 40 बच्चे विभिन्न समस्याओं को लेकर पहुंच रहे हैं, जिनमें करीब 25 से ज्यादा बच्चे निमोनिया की शिकायत से ग्रसित दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी बच्चों के निमोनिया की शिकायत के साथ पहुंचने का बड़ा आंकड़ा सामने आ रहा है। हालांकि, चिकित्सक मानते हैं कि यह चीन में माइकोप्लाज्मा निमोनिया से कम घातक है। लेकिन इस दौरान अभिभावकों को बच्चों को लेकर विशेष एहतियात बरतनी बेहद ज्यादा जरूरी है।