श्रीनगर। बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर सिद्ध पीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में वेदनी बेला पर खड़ा दीया अनुष्ठान प्रारंभ हो गया है। निसंतान दंपतियों की ये पूजा अलकनंदा नदी में स्नान के बाद खत्म हुई। इस अवसर पर महंत आशुतोष पुरी ने निसंतान दंपतियों को श्रीफल देकर अनुष्ठान का शुभारंभ किया। निसंतान दंपतियों ने रात भर जलते दीये को हाथ में लेकर खड़े रहते हुए भगवान शिव की आराधना की।
कहा जाता है कि देव असुर संग्राम के समय भगवान विष्णु ने असुरों के नाश हेतु अपने आराध्य देव महादेव की स्तुति और कमलेश्वर महादेव में सहस्त्र कमल चढ़ाये थे। जिससे उन्हें सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुई थी। इसी बीच यहां पर एक निसंतान दंपति भी हाथ में खड़ा दीपक लेकर कमलेश्वर महादेव की पूजा कर रहे थे। जिसके बाद निसंतान दंपति को भगवान शिव ने माता पार्वती के आग्रह पर संतान प्राप्ति का वरदान दिया था, तभी से इस मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान की परंपरा चली आ रही है। यहां भगवान राम और कृष्ण ने भी पूजा-अर्चना की थी। जिससे कृष्ण को सोम नामक पुत्र और भगवान राम को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी।
165 से अधिक दंपति अनुष्ठान के लिए पहुंचे
शनिवार को कमलेश्वर महादेव मंदिर में 240 निसंतान दंपतियों ने खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए पंजीकरण कराया था। उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, मेरठ और मुजफ्फरनगर सहित देश के विभिन्न शहरों से 165 से अधिक निसंतान दंपति अनुष्ठान के लिए पहुंचे। जिनमें विदेशी दंपति भी शामिल थे। दो विदेशी दंपतियों ने पोलैंड और जर्मनी से ऑनलाइन अनुष्ठान में हिस्सा लेकर अपनी पूजा संपन्न करवाई।