महिला कवित्रियों ने गढ़वाली भाषा की कविताओं से किया भाव विभोर
उत्तरकाशी। अनघा फाउंडेशन ने मंगसिर बग्वाल में इस वर्ष की विशेष बाल बग्वाल को बेटी बग्वाल मनाई के रूप में मनाई। जिसमें महिलाओं ने ही मांगल गीत, रस्साकसी तांदी रांशो और भैलु पूजन और भैल घुमाने का कार्य क्रम किया और सबसे विशेष कार्यक्रम में पहली बार महिला गढकवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें प्रभव साहित्य, संगीत व कला मंच की सभी महिला कवियित्रियों ने अपनी गढ़वाली कविताओं का वाचन करके दर्शकों को गढ़वाली भाषा के रंग से रंग कर पूरी तरह से भाव विभोर कर दिया। मंच का शानदार संचालन साधना जोशी ने किया। सरस्वती वंदना ममता जोशी ने की।
कुमारी स्वाती नौटियाल ने गढ़वाली लोक गीत को अपने मधुर कंठ के स्वरों में पिरोया, आरती पंवार ने नशा मुक्ति पर कठोर प्रहार करती अपनी स्वरचित कविता का वाचन किया, ललिता सेमवाल जी ने माधोसिंह भण्डारी का गीत गाकर श्रोताओं के दिलों में थिरकन पैदा की, गीता गैरोला ने मैत की बग्वाल की रीत रस्याण की याद दिलाई, डॉ अंजू सेमवाल बाबा काशी विश्वनाथ, की पावन गाथाओं को अपने कविता की पंक्तियों में पिरोया, कल्पना असवाल जी ने मंगसिर बग्वाल रौनक पर कविता को छलकाया।
राखी सिलवाल ने उत्तरकाशी के राम लीला मैदान की पूराने रुप को सभी के स्मृति पटल पर अंकित किया, सरिता भण्डारी जी ने मेरू जानू अब नि रहि, कविता ममता रावत ने सबिता कंसवाल और नौमी रावत उत्तरकाशी की बेटियों की अंतिम विदाई पर अपनी रचना प्रस्तुत करके सबकी पलकों नम कर दिया।
उषा भट्ट जी ने पहाड की धरती का रंग पर अपनी कविता रखी, डॉ मीना नेगी ने अपनी बाबा काशी विश्वनाथ को समर्पित करके अपने स्वरचित गीत ‘मैंसी नि छोदेन्दु मे’ रौंत्यालु मुल्क’ का विमोचन करके अपने मुल्क की जाती माटी के प्रेम को मंगसिर बेटी बग्वाल में छलकाया, निधि माही ने अपने गीतों से सभी को आनंदित किया। मंच पर ब्लॉक प्रमुख विनीता रावत, जगमोहन रावत, मंजू पंवार, गंगा समिति के सदस्य सुरेश सेमवाल, संजीव सेमवाल, अनघा फाउंडेशन के सभी सदस्य राजेश जोशी आशिता डोभाल आदि उपस्थित रहे।
मुल्क और माटी प्रेम का जीवंत उदाहरण है गाना मेरू रौंत्यालु मुल्कः डा. मीना
उत्तरकाशी। डॉक्टर मीना नेगी के स्वरचित गीत का विमोचन अनघा फाउंडेशन ने मंगसिर बग्वाल की ‘बेटी बग्वाल’ के विशेष दिन किया। मीना नेगी गांव की मिट्टी के साथ हंसती खेलती और बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के सफर को पूरा कर चुकी है। अपनी जड़ों को न छोड़ने और भूलने का संदेश इस गाने में स्वरों के माध्यम से देने की पूरी कोशिश की गई। आज जहां लोग पलायन कर पहाड़ छोड़ देते है वहीं सैलानी पहाड़ की सुंदरता के अनुपम सौंदर्य को निहारने पहाड़ पहुंचते है। धार्मिक और सांस्कृतिक विरासतों का भंडार ये एक न एक दिन अपनी संतानों को अपने पास बुलाता ही है चाहे वो पूजा आराधना के लिए ही सही। मीना नेगी बताती है की माटी मुल्क के दर्द को वो बखूबी महसूस करती है। मुल्क की माटी अपने जनों की विरह की वेदना और मिलन की खुशी को बखूबी समझती है पर उसके पास शब्द नहीं होते है उसके एहसास को महसूस करके मीना नेगी के द्वारा उनको शब्द दिए गए उन शब्दों का ही नाम है मेरू रौंत्यालु मुल्क। इस कार्यक्रम में अनघा फाउंडेशन की समस्त टीम व जय प्रभव साहित्य संगीत और कला मंच की समस्त टीम व गंगोत्री गंगा मंदिर समिति के सभी गणमानाय सदस्य और भटवाड़ी विकासखंड की ब्लॉक प्रमुख विनीता रावत,जगमोहन रावत,मंजू पंवार आदि लोग उपस्थित ने मंच को सुशोभित किया।