देहरादून पौराणिक बागनाथ मंदिर समेत प्रदेश के शिव मंदिरों में श्रद्वालुओं ने बाबा का जलाभिषेक कर आशीर्वाद मांगा। सुबह चार बजे से श्रद्धालुओं ने गंगा व सरयू गोमती के संगम में स्नान करने के बाद पवित्र जल से बाबा बागनाथ का जलाभिषेक किया। लोगों ने भगवान बागनाथ की पारंपरिक ढंग से पूजा-अर्चना करने के बाद खुशहाली की कामना की।
बता दें कि उत्तराखंड में कुमाऊं की काशी बागेश्वर में भी आज सावन के पहले सोमवार पर बागनाथ मंदिर में सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु का आना शुरू हो गया और लंबी लंबी कतारों में खड़े होकर श्रद्धालु अपनी बारी का इंतजार किया। भगवान शंकर का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की। सुबह से ही श्रद्धालुओं का हुजूम बागनाथ परिसर में उमड़ने लगा था। दूर दूर व अन्य जिलों से भी लोग बाबा बागनाथ के दरबार में पहुंचे। अब पूरे सावन के महीने और विशेष कर सोमवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहेगी।
मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नंदन सिंह रावल ने कहा कि मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना को देखते हुए पुलिस प्रशासन का सहयोग मांगा गया था। मंदिर में तैनात सुरक्षा कर्मियों का अच्छा सहयोग मिला। आज सुबह से ही काफी ज्यादा भीड़ है। उन्होंने मंदिर आ रहे श्रद्धालुओं से जल्दबाजी नहीं करने की अपील की।
आचार्य पंडित कैलाश उपाध्याय ने बताया कि बाबा के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि पुराणों में लिखा गया है कि अनादिकाल में मुनि वशिष्ठ अपने कठोर तपबल से ब्रह्मा के कमंडल से निकली मां सरयू को ला रहे थे। ब्रह्मकपाली के पास मार्कण्डेय ऋषि तपस्या में लीन थे। वशिष्ट जी को उनकी तपस्या को भंग होने का खतरा सताने लगा।
धीरे-धीरे वहां जलभराव होने लगा। सरयू नदी आगे नहीं बढ़ सकी। उन्होंने भगवान शिव की आराधना की। जिसके बाद महादेव बाघ और पार्वती गाय के रूप में यहां पहुंची जिसके बाद दोनों इसी रूप ने यही विराजमान हो गए। बागनाथ मंदिर में मुख्य रूप से बेलपत्र से ही पूजा होती है। कुमकुम, चंदन और बताशे चढ़ाने की भी परंपरा है। महादेव को खीर और खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। श्रद्धालु शंकर रौतेला ने बताया कि बाबा बागनाथ के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर जिलों और राज्यों से भी लोग पहुंचते है। उन्होंने कहा कि इस मंदिर का पौराणिक महत्व है। आज के दिन पूजा करने का विशेष महत्व होता है। लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
कोतवाल कैलाश नेगी ने बताया कि मंदिर में भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस टीम लगाई गई है। सुबह चार बजे से ही यहां भारी भीड़ है। वहीं भारी बारिश भी हो रही है। जिस कारण नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिस वजह से लोगों को नदियों से दूर रहने की अपील की जा रही है।