चारधाम यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
प्रारंभिक दौर में ही चरमराई व्यवस्थायें, यात्री परेशान

पंजीकरण की व्यवस्था सहीे न होने से हरिद्वार से वापस लौट रहे श्रद्धालु
क्षमता से तीन गुना ज्यादा श्रद्धालु एक बार में पहुंचे श्री केदारनाथ धाम
रुद्रप्रयाग। चारधाम यात्रा का आगाज कल केदारधाम और गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हो चुका है। शासन-प्रशासन के सुगम और सुरक्षित यात्रा के जो दावे किए जा रहे थे उनकी जमीनी हकीकत की कलई इस यात्रा के पहले ही दिन सामने आ गई है। यात्री हैरान-परेशान है और पानी पीकृपीकर शासन-प्रशासन को कोस रहे हैं। पंजीकरण की समुचित व्यवस्था न होने के कारण बड़ी संख्या में लोग हरिद्वार से वापस लौट कर जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार कल पहले ही दिन जहां केदारनाथ धाम में 29 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की खबर है जो धाम की क्षमता से तीन गुना ज्यादा है तथा वैसी ही स्थिति यमुनोत्री धाम में भी देखी गई। जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गौरीकुंड से कल शाम तक घोड़े खच्चरों का संचालन शुरू न होने से यात्री परेशान रहे और पैदल मार्ग पर उनके पीने के पानी की व्यवस्था न होने से यात्री व्यवस्थाओं को लेकर सरकार को कोसते दिखे। उधर यमुनोत्री जाने वाले पैदल मार्ग पर कोई समुचित व्यवस्था न होने तथा दोनों ओर से यात्रियों के आनेकृजाने के कारण 2 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। जिसमें फंसे वृद्ध, बच्चे और महिलाएं भारी परेशान दिखे। यात्रियों का कहना है कि ऐसी खराब व्यवस्था तो उन्होंने पहले कभी नहीं देखी है। धक्का मुक्की और खींचतान में भीड़ में फंसी महिलाएं और बच्चे शासन-प्रशासन पर झल्लाते दिखे।
उधर केदारनाथ राजमार्ग पर सिरोबगड़ और तिलवाड़ी क्षेत्र में सड़क पर मलवा होने के कारण 4 घंटे तक जाम लगा रहा। जानकारी के अनुसार यहां चल रहे सड़क निर्माण के कारण ऊपर से मलवा सड़क पर गिराया जा रहा है और फिर इसे नीचे एक गदेरे में धकेला जा रहा है। जाम के कारण 4 घंटे यहां वाहनों की आवाजाही बाधित रही लोगों का कहना था कि क्या सरकार और पर्यटन विभाग को पता नहीं था कि 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। उनके द्वारा सड़क निर्माण का काम पहले क्यों नहीं कराया गया अब यात्रा शुरू हो चुकी है ऐसे में अगर सड़क निर्माण का काम किया जा रहा है तो यात्री तो परेशान होंगे ही।
सरकार भले ही खुश है कि चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। 26 लाख लोग रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। हरिद्वार में जहां ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए व्यवस्था की गई थी वह ध्वस्त हो चुकी है। प्रशासन द्वारा ऋषिकुल ग्राउंड में खुले में टेंट लगाकर 20 रजिस्ट्रेशन सेंटर खोले गए हैं लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि लोगों को 6कृ6 घंटे में भी रजिस्ट्रेशन करने का मौका नहीं मिल रहा है। किसी काउंटर पर लैपटॉप काम नहीं कर रहे हैं तो कहीं मोबाइल काम नहीं कर रहे हैं। घंटों लाइन में लगे लोग थक कर बैठ जाते हैं फिर खड़े हो जाते हैं। व्यवस्थाओं को कोसते हजारों लोग हताश होकर वापस लौटने पर विवश हैं। उनका कहना है कि सरकार की व्यवस्थाएं एकदम खराब है। यहां कोई देखने वाला या सुनने वाला भी नहीं है।
यमुनोत्री आए दो श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक से मौत
उत्तरकाशी। चारधाम यात्रा के पहले प्रमुख तीर्थ धाम यमुनोत्री यात्रा पर आए पहले दिन ही दो श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार की शाम को अलग अलग स्थानों पर हार्ट अटैक से श्रद्धालुओं की मौत हो गई।मध्यप्रदेश के सागर जिले के रामगोपाल (71) और उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की विमला देवी (69 ) की मौत हुई है। एसएचओ संतोष सिंह कुंवर ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि पंचनामा की कार्रवाई की जा रही है।
भगवान बदरीनाथ की डोली पहंुची धाम,रविवार को खुलेंगे कपाट
चमोली। केदारनाथ, गंगोत्री- यमुनोत्री के कपाट खुलने के बाद अब बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। भगवान बदरीनाथ की डोली शनिवार को धाम पहुंच गई है। बदरीविशाल की जयकारों के बीच बड़ी संख्या में श्रद्धालु धाम पहुंचे हैं। 15 कुंतल फूलों से बदरीनाथ मंदिर को सजाया जा रहा है। कल रविवार सुबह छह बजे बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। सबसे पहले भगवान बदरी विशाल को यात्राकाल में लगाए जाने वाले तेल को पिराने(पीसने) की प्रक्रिया शुरू हुई। परंपरा है कि भगवान बदरी विशाल को प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे स्नान कराया जाता है। स्नान के उपरांत तिलों के तेल से भगवान बदरी विशाल का लेपन (मालिश) की जाती है। तिलों के तेल को भगवान के अभिषेक के लिए शुद्ध माना जाता है। साथ ही इसे अखंड ज्याति में भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए इस तेल को सिलबट्टे पर पीसा जाता है। जिससे इसमें कोई मिलावट न हो। परंपरा है कि यह तेल सुहागिन महिमहारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह की मौजूदगी में शहर की कई सुहागिनों ने तेल निकाला। गणेश पूजन, मूसल पूजन, ओखल पूजन और अग्नि पूजन के बाद शहर की कई सुहागिनों और महारानी ने पीले वस्त्र धारण कर तिलों को कड़ाई में भूना और ओखली और सिलबट्टा में पिसाकर तेल निकाला।लाएं ही पिरोती हैं। यह तेल टिहरी राजदरबार की महारानी के साथ मिलकर पीसा जाता है। इसके बाद इसे एक कलश में रखा जाता है जिसे गाडू घड़ा कहते हैं।