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उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट

भारत में कोरोना के नए वैरिएंट की दस्तक

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए दिशा-निर्देश
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) का खौफ

देहरादून। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) ने एक बार फिर से लोगों को डरना शुरू कर दिया है। भारत में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) के मामले सामने आए है, जिसके बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से भी सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की गई है। भारत सरकार की तरफ से एडवाइजरी जारी होने के बाद उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) से बचाव और रोकथाम के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी के तहत जिला स्तर पर कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगातार निगरानी करने के निर्देश दिए है। वही, स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर भारत सरकार ने 18 दिसंबर को गाइडलाइन जारी की थी, जिसके क्रम में उत्तराखंड सरकार ने भी गाइडलाइन जारी की है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य में कोरोना के इस नए वैरिएंट का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। पिछले महीने नवंबर में भी कोरोना का कोई मामला सामने नहीं आया था। फिर भी भारत सरकार ने सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए है, जिसके चलते जिलाधिकारियों और सीएमओ को अपने अपने स्तर पर सर्विलांस बढ़ाने के निर्देश दिए है।
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने बताया कि लोगों को फिर से कोरोना वायरस के प्रति जागरुक किया जा रहा है। साथ ही टेस्टिंग भी बढ़ाई जा रही है। बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) का पहला मामला केरल से सामने आया था। भारत में बीते 24 घंटे में कोरोना के 300 नए मामले सामने आए है।

कोरोना की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किए गए दिशा-निर्देश

कोविड-19 के संदर्भ में संशोधित निगरानी रणनीति के लिए परिचालन दिशानिर्देश का अनुपालन किया जाए।
जिला स्तर पर इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी रोगियों की निगरानी की जाए।
पर्याप्त संख्या में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी रोगियों की कोविड-19 एवं इन्फ्लुएंजा जांच की जाएं।
साथ ही रोगियों की जानकारी एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) पोर्टल में अपलोड की जाए।
कोविड-19 प्रबंधन के लिए चिकित्सालय स्तर पर समस्त तैयारियां दुरुस्त रखी जाए।
आम जनमानस में श्वसन स्वच्छता  के प्रति जागरूकता करने के लिए तमाम माध्यमों से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी व गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के लक्षण होने पर चिकित्सकीय परामर्श पर ही दवाइयों का सेवन करे।

केंद्र सरकार ने राज्यों को किया सतर्क
केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से देश में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि और जेएन.1 स्वरूप का पहला मामला सामने आने के बीच निरंतर निगरानी बनाए रखने को कहा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में रेखांकित किया कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लगातार और सहयोगात्मक कार्यों के कारण हम (कोविड-19 के) मामलों की संख्या कम करने में सक्षम हुए। उन्होंने कहा- ष्हालांकि, कोविड-19 वायरस का प्रकोप जारी है। इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए गति को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

केंद्र की आरटी-पीसीआर जांच की सलाह
अपने पत्र में, पंत ने आरटी-पीसीआर जांच की संख्या बढ़ाने और भारतीय सार्स सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इनसाकॉग) प्रयोगशालाओं में जीनोम अनुक्रमण के लिए संक्रमित पाए गए नमूने भेजने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि देश में नए स्वरूप का समय पर पता लगाया जा सके। भारत में जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) का पहला मामला आने का उल्लेख करते हुए पंत ने इस स्वरूप के बारे में विवरण भी मुहैया कराया। विवरण में कहा गया है कि जेएन.1 (बीए.2.86.1.1) 2023 के अंत में उभरा और यह सार्स सीओवी-2 के बीए.2.86 (पिरोला) समूह से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका, चीन, सिंगापुर और भारत में जेएन.1 स्वरूप के मामले आए हैं। चीन से उप स्वरूप के सात मामले सामने आए हैं। अन्य देशों में इसकी मौजूदगी की पुष्टि के लिए ज्यादा आनुवंशिक अनुक्रमण डेटा की आवश्यकता है।

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