
हाईकोर्ट के आदेश के बाद डिप्टी जेलर और कांस्टेबल निलंबित
पोक्सों एक्ट के आरोपी के साथ मारपीट करने के आरोप में की कार्रवाई
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जेल में बंद पॉक्सो कैदी के साथ मारपीट मामले में सख्त फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सितारगंज जेल के डिप्टी जेलर और जवान को निलंबित कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने इसमें शामिल अन्य लोगों के नाम भी प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उधम सिंह नगर के सचिव योगेंद्र कुमार सागर के द्वारा 11 जुलाई 2025 को जेल का निरीक्षण किया। 14 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश की। जेल का निरीक्षण के दौरान उनकी मुलाकात कैदी सुभान से भी हुई, जो काफी डरा व सहमा हुआ था और उसके शरीर मे जख्म के कई घाव थे। पूछने पर उसने बताया कि 28 जून को कांस्टेबल व डिप्टी जेलर समेत अन्य ने उसके साथ मारपीट की। जब कैदी से पूछताछ चल रही थी तो कांस्टेबल व अन्य लोग उसे इशारा करके उसे धमकाने की कोशिश करने लगे।
जिसका संज्ञान लेते हुए सचिव के द्वारा जल्द कार्रवाई करने के आदेश दिए और अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को भेजी। जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया कि जेल प्रशासन के द्वारा कैदी को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उसको आई चोटों को भी देखा। आरोपी पॉक्सो के केस के मामले में जेल में साल 2024 से जेल में बंद है। सुनवाई पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुए। कोर्ट ने उनसे जेल का दौरा समय-समय पर करने को भी कहा है। कैदी के साथ मारपीट करने वाले अनील यादव व सुनील शर्मा का नाम भी सामने आया है। कोर्ट ने कहा कि जेलों में इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं, जो जेल नियमों के खिलाफ है।
मनरेगा में अनियमितता मामले में दो ग्राम विकास अधिकारी सस्पेंड
हरिद्वार। मनरेगा में अनियमितताओं के मामले में जांच के बाद बड़ी कार्यवाही करते हुए जिला विकास अधिकारी ने दो ग्राम विकास अधिकारियों को संस्पेंड कर दिया है।
जिला विकास अधिकारी हरिद्वार ने मनरेगा योजना के तहत अनियमितताओं के आरोप में ग्राम विकास अधिकारी रविन्द्र सैनी और प्रमोद सैनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उनकी तत्कालीन ग्राम पंचायतों, ग्राम गढ़ और आन्नेकी, विकास खंड बहादराबाद में की गई जाँच के बाद हुई है, जिसमें वे दोषी पाए गए हैं। निलंबन अवधि के दौरान, यह दोनों ग्राम विकास अधिकारी अन्य विकास खंडों से संबद्ध रहेंगे। इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि यदि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं की पुनरावृत्ति पाई जाती है, तो अन्य ग्राम विकास अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम मनरेगा योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। प्रशासन भ्रष्टाचार के प्रति जीरो-टॉलरेंस की नीति पर कायम है और सभी अधिकारियों को नियमों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है।